जबलपुर/- मध्य प्रदेश के सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग के जरिए हो रही भर्तियों की संवैधानिकता को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। एक याचिका के जरिए इसकी संवैधानिकता पर सवाल उठाए गए हैं। कर्मचारी हितों की आवाज उठाने वाले अजाक्स संघ के द्वारा मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि प्रदेश के सभी विभागों में आउटसोर्सिंग के जरिए भर्तियां करके काम लिया जा रहा है लेकिन इसमें कर्मचारी हितों की खुलकर अनदेखी की जा रही है। वेतन भत्तों से लेकर भविष्य में नियमितीकरण का कोई प्रावधान नहीं है, इस तरह की भर्तियों से कर्मचारियों की प्रताड़ना हो रही है यहां तक की कम वेतन देकर उनसे ज्यादा काम लिया जा रहा है। भविष्य में अफसरों के द्वारा बिना सामाजिक सुरक्षा के ऐसे कर्मचारियों को नौकरी से बेदखल भी किया जाता है और कर्मचारियों के पास अपील का कोई अधिकार भी नहीं होता।
ह्यूमन ट्रैफिकिंग जैसा है कृत्य -
अजाक्स संघ के द्वारा दायर इस याचिका में वित्त विभाग के द्वारा आउटसोर्सिंग के लिए बनाए गए नियमों पर भी सवाल उठाए गए हैं। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर का कहना है कि सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग के जरिए हो रही भर्तियां ह्यूमन ट्रैफिकिंग के समान है, उन्होंने कहा है कि प्रदेश के वित्त विभाग ने आउटसोर्सिंग के नियम बनाए हैं और प्रदेश के सभी विभाग उसका पालन कर रहे हैं जबकि वित्त विभाग को इसके नियम बनाने का कोई अधिकार ही नहीं है मूल रूप से इस तरह की तमाम प्रक्रियाओं के पालन और व्यवस्था बनाने का जिम्मा प्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग यानी जीएडी के पास है।
5 मई को हो सकती है सुनवाई -
आउटसोर्सिंग व्यवस्था के खिलाफ अजाक्स संघ के द्वारा मुख्यमंत्री से भी चर्चा की गई और मुख्यमंत्री के नाम पत्र भी दिया गया जब इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई तो संघ के द्वारा मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर का मानना है कि इस मामले में 5 मई को सुनवाई हो सकती है। उन्होंने प्राइवेट एजेंसियों के माध्यम से श्रमिकों को खरीदने और उन्हें सरकारी विभागों में तैनात किए जाने की इस व्यवस्था को आड़े हाथों लिया है, उनका मानना है कि लोकतांत्रिक देश में इस तरह की आउटसोर्सिंग व्यवस्था ह्यूमन ट्रैफिकिंग जैसी बुराइयों को जन्म दे सकती है।