Guru Purnima 2025 Date : किस दिन मनाया जाएगा गुरु पूर्णिमा, शुभ मुहूर्त और विधि 

Guru Purnima 2025 Date : गुरु के इस समर्पण को सम्मानित करने के लिए गुरु पूर्णिमा का दिन मनाया जाता है, जहां यह दिन पूरी तरह उनको समर्पित होता है। यह दिन इस साल 2025 के जुलाई महीने की 10 तारीख को आ रहा है।

Jul 7, 2025 - 16:28
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Guru Purnima 2025 Date : किस दिन मनाया जाएगा गुरु पूर्णिमा, शुभ मुहूर्त और विधि 
Guru Purnima 2025 Date: On which day Guru Purnima will be celebrated, auspicious time and method

हर किसी के जीवन में एक न एक गुरु ऐसा जरूर होता है जिसे वे अपने पूरे जीवन याद रखता है। हर किसी के जीवन में गुरु का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि उनकी वजह से ही इंसान को उसके जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है और उसके जीवन का लक्ष्य प्राप्त होता है। 

गुरु के इस समर्पण को सम्मानित करने के लिए गुरु पूर्णिमा का दिन मनाया जाता है, जहां यह दिन पूरी तरह उनको समर्पित होता है। यह दिन इस साल 2025 के जुलाई महीने की 10 तारीख को आ रहा है। कहा जाता है कि जुलाई महीने के आरंभ होते ही हिंदू पंचांग के महत्वपूर्ण पर्वों का सिलसिला शुरू हो जाता है। 

इस साल जुलाई में आने वाली पूर्णिमा इसलिए भी खास मानी जा रही है क्योंकि इस दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। गुरु पूर्णिमा का पर्व सनातन धर्म में अत्यंत शुभ माना गया है। ऐसा माना जाता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन व्रत रखने, गुरु की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलता है बल्कि जीवन में ज्ञान, शांति और प्रगति भी प्राप्त होती है।

गुरु पूर्णिमा 2025 तारीख(Guru Purnima 2025 Date)-

इस साल जुलाई महीने की पूर्णिमा तिथि 10 जुलाई की रात 1:36 बजे शुरू होकर 11 जुलाई की रात 2:06 बजे तक रहेगी। जसिके चलते 10 जुलाई 2025 को पूर्णिमा पड़ रही है और इसी दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व भी मनाया जाएगा।

गुरु पूर्णिमा 2025 के शुभ मुहूर्त-

इस दिन पूजा पाठ और व्रत का खास महत्व होता है। ऐसे में आइये जानते है कि पूजा के क्या है शुभ मुहूर्त

  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:59 बजे से 12:54 बजे तक
  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 07:21 बजे से 07:41 बजे तक
  • अमृत काल: रात 12:55 बजे से, 11 जुलाई की रात 02:35 बजे तक
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 02:45 बजे से 03:40 बजे तक

जानिए कौन थे दुनिया के प्रथम गुरु-

गुरु पूर्णिमा केवल एक पर्व नहीं बल्कि एक भाव भी है। यह दिन हमें हमारे जीवन में गुरु के मार्गदर्शन और योगदान को याद करने का अवसर देता है। इसी दिन आदियोगी भगवान शिव ने सबसे पहले सप्तऋषियों को ज्ञान दिया था और वे ही पहले गुरु के रूप में माने जाते है।

क्यों खास है गुरु पूर्णिमा का पर्व-

गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाने का मुख्य कारण महर्षि वेदव्यास का जन्म माना जाता है। वेदव्यास को भगवान विष्णु का अंश माना गया है जो धरती पर आए थे। उनके पिता का नाम ऋषि पराशर और माता का नाम सत्यवती था। बचपन से ही वेदव्यास को अध्यात्म में खूब रुचि थी। प्रभु के दर्शन की इच्छा से उन्होंने अपने माता-पिता से तपस्या के लिए वन जाने के लिए आज्ञा मांगी।

हालाँकि, उनकी माता ने पहले मना कर दिया, लेकिन वेदव्यास ने ज़िद की और आखिरकार मां ने इजाजत दे दी। उन्होंने शर्त रखी कि जब भी घर की याद आए तो वे वापस लौट आएं। इसके बाद वेदव्यास वन चले गए और वहां कठोर तपस्या की।

तपस्या के फलस्वरूप वे संस्कृत भाषा में बहुत निपुण हो गए। उन्होंने चारों वेदों को व्यवस्थित किया, महाभारत लिखा, अठारह पुराणों और ब्रह्मास्त्र की रचना की। ऐसा माना जाता है कि वे किसी न किसी रूप में आज भी वे इस दुनिया में मौजूद हैं।

इसी वजह से हिंदू धर्म में महर्षि वेदव्यास को भगवान की तरह पूजा जाता है। आज भी वेदों का अध्ययन शुरू करने से पहले सबसे पहले उनका नाम लिया जाता है।