मध्यप्रदेश: सरकारी स्कूलों में पेंटिंग के नाम पर बड़ा घोटाला उजागर
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे बिल के सामने आते ही एक बार फिर से शिक्षा विभाग सवालों के घेरे में है। मध्यप्रदेश के शहडोल जिले के ब्यौहारी क्षेत्र के दो सरकारी स्कूलों में दीवारों की रंगाई-पुताई के नाम पर भारी खर्च दिखाया गया है।

शिक्षा के नाम पर पहले भी कई तरह के घोटाले किए गए हैं, लेकिन इस बार स्कूल के रंगरोगन के नाम पर जो घोटाला हुआ है। उसे देखकर हर किसी को आश्चर्य हो रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे बिल के सामने आते ही एक बार फिर से शिक्षा विभाग सवालों के घेरे में है। मध्यप्रदेश के शहडोल जिले के ब्यौहारी क्षेत्र के दो सरकारी स्कूलों में दीवारों की रंगाई-पुताई के नाम पर भारी खर्च दिखाया गया है।
पहला मामला: हाई स्कूल सक्कन्दी
हाई स्कूल सक्कन्दी में केवल चार लीटर ऑयल पेंट खरीदा गया, जिसकी कुल लागत 784 रुपये (प्रति लीटर 196 रुपये) दर्शाई गई है। हैरानी की बात यह है कि इस सीमित मात्रा के पेंट को लगाने के लिए 168 मजदूर और 65 मिस्त्री लगाए गए, जिनका कुल भुगतान 1,06,984 रुपये बताया गया है। यह स्थिति स्वाभाविक रूप से सवाल खड़े करती है कि इतनी कम मात्रा में पेंट के लिए इतनी बड़ी संख्या में श्रमिकों की क्या आवश्यकता थी।
दूसरा मामला: उच्चतर माध्यमिक विद्यालय निपानिया
यहां 20 लीटर पेंट की खरीद दिखाई गई है, लेकिन इससे जुड़ा खर्च और भी अधिक चौंकाने वाला है। इस कार्य के लिए 275 मजदूरों और 150 मिस्त्रियों को लगाया गया और कुल 2,31,650 रुपये का भुगतान किया गया। खर्च में खिड़कियों और दरवाजों की रंगाई का उल्लेख किया गया है, लेकिन 20 लीटर पेंट से इतना काम संभव नहीं लगता।
एक ही ठेकेदार, एक ही तारीख
इन दोनों मामलों में सुधाकर कंस्ट्रक्शन नामक एक ही ठेकेदार का नाम सामने आया है। गौर करने वाली बात यह है कि दोनों ही बिल 5 मई 2025 को जारी किए गए हैं, जो पूरे मामले को और भी संदिग्ध बनाता है। इन पर संबंधित स्कूलों के प्रधानाचार्यों और जिला शिक्षा अधिकारी के हस्ताक्षर और सरकारी मुहरें भी लगी हैं, जिससे मामले की गंभीरता और बढ़ जाती है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
हाई स्कूल सक्कन्दी के प्राचार्य सुग्रीव शुक्ला ने कैमरे से बचते हुए इस पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी। वहीं, जिला शिक्षा अधिकारी फूल सिंह मारपाची ने कहा कि वायरल बिलों की जांच शुरू करवा दी गई है और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला न केवल शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सरकारी संसाधनों का किस हद तक दुरुपयोग हो रहा है।