महाकाल मंदिर के गर्भग्रह में भक्तों के बीच भेदभाव को लेकर लगी याचिका को हाईकोर्ट ने किया खारिज
गर्भगृह में किसे VIP माना जाएगा, यह निर्णय जिला कलेक्टर का अधिकार क्षेत्र है।

महाकाल मंदिर में VIP और आम भक्तों के भेदभाव को लेकर दायर याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट की दो जजों की बेंच – जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार दिवेदी – ने स्पष्ट किया कि गर्भगृह में किसे VIP माना जाएगा, यह निर्णय जिला कलेक्टर का अधिकार क्षेत्र है। अदालत ने कहा कि VIP की कोई निर्धारित परिभाषा नहीं है और यह व्यवस्था देश के सभी धार्मिक स्थलों पर समान रूप से लागू होगी।
कलेक्टर की अनुमति से ही VIP का निर्धारण
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यदि किसी विशेष दिन कलेक्टर किसी व्यक्ति को गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति देते हैं, तो उसे VIP माना जाएगा। VIP की कोई निश्चित सूची या नियम नहीं है, और यह पूरी तरह प्रशासनिक विवेक पर निर्भर करता है।
यह नियम केवल महाकाल मंदिर के लिए नहीं है
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह नियम केवल उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर पर ही लागू नहीं होगा, बल्कि देश भर के सभी धार्मिक स्थलों पर इसे लागू माना जाएगा।
क्या था याचिका में
याचिका में आरोप लगाया गया था कि महाकाल मंदिर में VIP और आम भक्तों के बीच भेदभाव होता है। VIP श्रद्धालुओं को गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति दी जाती है, जबकि सामान्य भक्तों को बाहर से ही दर्शन करने पड़ते हैं। कोर्ट ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि इसमें कोई असंवैधानिक भेदभाव नहीं है क्योंकि VIP का निर्धारण कलेक्टर के विवेक पर आधारित है।
महाकाल मंदिर का महत्व
महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यह उज्जैन में स्थित है। यह मंदिर अत्यंत पवित्र माना जाता है और यहाँ हर वर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर प्रशासन ने दर्शन के लिए ऑनलाइन बुकिंग जैसी कई सुविधाएँ शुरू की हैं। विशेष आरतियों में सबसे प्रसिद्ध 'भस्म आरती' है, जो तड़के 4 बजे होती है और इसमें भगवान शिव को भस्म अर्पित की जाती है।