भाद्रपद की ढोल ग्यारस पर उज्जैन में निकलेगी कालभैरव बाबा की शाही सवारी
उज्जैन में भाद्रपद की ढोल ग्यारस के पावन अवसर पर भगवान कालभैरव की भव्य सवारी निकाली जाएगी। यह सवारी महाकाल के सेनापति भैरव बाबा की होती है, जो पूरे राजसी ठाट-बाट के साथ नगर भ्रमण पर निकलते हैं।

उज्जैन में भाद्रपद की ढोल ग्यारस के पावन अवसर पर भगवान कालभैरव की भव्य सवारी निकाली जाएगी। यह सवारी महाकाल के सेनापति भैरव बाबा की होती है, जो पूरे राजसी ठाट-बाट के साथ नगर भ्रमण पर निकलते हैं। शाम 4 बजे जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक मंदिर में पूजा-अर्चना कर पालकी को रवाना करेंगे। इसके बाद बाबा को चांदी की पालकी में विराजित कर सवारी प्रारंभ होगी, जिसे गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया जाएगा।
कालभैरव मंदिर की विशेषता
विश्व प्रसिद्ध कालभैरव मंदिर उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर स्थित है। यहां भगवान कालभैरव की अद्भुत प्रतिमा है, जो प्रतिदिन मदिरा का भोग स्वीकार करती है। यह देश का एकमात्र मंदिर है जहां प्रतिमा को सीधे मदिरा ग्रहण करते हुए देखा जा सकता है।
महाकाल के कोतवाल की विशेष भूमिका
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कालभैरव, भगवान शिव के कोतवाल और उज्जैन के क्षेत्रपाल माने जाते हैं। जिस तरह महाकाल भगवान नगर भ्रमण पर निकलते हैं, उसी प्रकार कालभैरव भी वर्ष में दो बार नगर भ्रमण कर प्रजा की रक्षा का आश्वासन देते हैं।
शाही श्रृंगार और सिंधिया घराने की परंपरा
इस दिन विशेष श्रृंगार के अंतर्गत भगवान को सिंधिया राजघराने की पारंपरिक मराठी शैली की पगड़ी पहनाई जाती है, जो खासतौर पर ग्वालियर से मंगवाई जाती है। यह परंपरा उज्जैन में सिंधिया शासनकाल की स्मृति में आज भी निभाई जाती है।
सवारी का रूट और जेल में विशेष पूजा
शाही सवारी मंदिर से शुरू होकर नया बाजार, भैरवगढ़ नाका, माणकचौक, महेंद्र मार्ग होते हुए सिद्धवट घाट तक जाएगी। यहां वैकुंठ द्वार पर भगवान कालभैरव और उनकी पादुकाओं का अभिषेक किया जाएगा। सवारी का एक अहम पड़ाव केंद्रीय जेल तिराहा भी होगा, जहां जेल एसपी पूजा करेंगे और कैदी पुष्पवर्षा कर बाबा से अपने गुनाहों की क्षमा और मुक्ति की प्रार्थना करेंगे।
इस प्रकार कालभैरव की सवारी धार्मिक आस्था, राजकीय गरिमा और ऐतिहासिक परंपराओं का एक भव्य संगम बन जाती है।