कैंची धाम मंदिर : 15 जून को मनाया जाएगा स्थापना दिवस, लगेगा मेला, उमड़ेगी भक्तों की भीड़ 

उत्तराखंड के नैनीताल में मौजूद कैंची धाम मंदिर का 15 जून को स्थापना दिवस मनाया जाता है। ऐसे में इस मौके पर भारी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते है।

Jun 7, 2025 - 15:09
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कैंची धाम मंदिर : 15 जून को मनाया जाएगा स्थापना दिवस, लगेगा मेला, उमड़ेगी भक्तों की भीड़ 

उत्तराखंड के नैनीताल में मौजूद कैंची धाम मंदिर का 15 जून को स्थापना दिवस मनाया जाता है। ऐसे में इस मौके पर भारी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते है। इस मौके पर मेले का भी आयोजन होता है जिसके लिए तीन चार दिन पहले से ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो जाता है। पिछली बार को देखते हुए प्रशासन अभी से ही ट्रैफिक का पूरा प्लान बनाने में जुटा है।

जाम से कैसे बचें- 

पहले के अनुभवों को देखते हुए ऐसा कहा जा सकता है कि भीड़ उमड़ने से हल्द्वानी से भीमताल और भवाली मार्ग पर जाम की स्थिति बन सकती है। ऐसे में यह तय किया गया है कि जाम से बचने के लिए रोडवेज और केमू की बसों को शटल सेवा के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। इससे यह लाभ मिलेगा कि सड़क पर छोटे वाहनों की संख्या सीमित रहेगी। ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर आरीओ दफ्तर में इस संबंध में एक मीटिंग भी हुई जिसमें रोडवेज अधिकारी, कैंची धाम प्रबंधन समिति के लोग और टैक्सी यूनियन के लोग भी शामिल थे। 

हर साल लगता है बड़ा मेला-

हर साल कैंची धाम मंदिर के स्थापना दिवस के अवसर पर यहां 15 जून को एक बड़ा मेला लगता है। इस मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और नीम करोली बाबा के दर्शन करते हैं। ऐसी मान्यता रही है कि इस मंदिर में मांगी हर मुराद पूरी होती है।

जानिए कौन थे नीम करोली बाबा-

नीम करोली बाबा 20वीं शताब्दी के एक विख्यात भारतीय संत और हिंदू गुरु थे। वे अपनी अलौकिक शक्तियों और आध्यात्मिक प्रभाव के कारण देश-विदेश में प्रसिद्ध हुए। बाबा का असली नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। उनका जन्म साल 1900 में उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में हुआ था। वे हनुमान जी के परम भक्त थे और ऐसा मन जाता है कि वे कलियुग में हनुमान जी का अवतार है।

बाल विवाह से साधु जीवन तक की यात्रा-

महज 11 वर्ष की उम्र में उनके माता-पिता ने उनका विवाह करा दिया था। हालांकि कुछ समय बाद उन्होंने साधु बनने का निर्णय लिया। अपने पिता के मानाने पर वे कुछ समय के लिए गृहस्थ जीवन में लौटे और उनके दो बेटे और एक बेटी हुए। । बाद में 1958 में उन्होंने फिर से घर त्यागकर संन्यासी जीवन अपनाया।

कैंची धाम आश्रम की स्थापना-

उत्तराखंड के नैनीताल के समीप उन्होंने 1964 में  कैंची धाम आश्रम की स्थापना की, जो आज उनके भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थस्थल बन चुका है। हर साल 15 जून को यहाँ आश्रम की स्थापना दिवस पर विशाल मेले का आयोजन होता है। इस मौके पर देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं। इस आश्रम में हनुमान जी, भगवान राम, शिव और माँ दुर्गा के भव्य मंदिर स्थित हैं।