Premanand Maharaj-Rambhadracharya Controversy: विवादित बयान के बाद स्वामी रामभद्राचार्य ने दी सफाई, कहा आपसी कोई विवाद नहीं

जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने एक बयान जारी किया जिसमें उन्होंने साफ़ कहा कि उन्होंने न तो प्रेमानंद जी और न ही किसी अन्य संत के खिलाफ कोई अपमानजनक बात कही है और न ही भविष्य में ऐसा कहेंगे।

Aug 26, 2025 - 16:01
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Premanand Maharaj-Rambhadracharya Controversy: विवादित बयान के बाद स्वामी रामभद्राचार्य ने दी सफाई, कहा आपसी कोई विवाद नहीं
Premanand Maharaj-Rambhadracharya Controversy: After the controversial statement, Swami Rambhadracharya clarified, said there is no mutual dispute

हाल ही में जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य अपने बयान को लेकर चर्चा में आ गए है। उन्होंने संत प्रेमानंद महाराज को लेकर एक विवादित बयान जारी किया था जिसके चलते बांकी संतो में काफी गुस्सा दिखाई दिया। 

जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य का बयान 

मामले को ज्यादा तूल पकड़ता देख जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने एक बयान जारी किया जिसमें उन्होंने साफ़ कहा कि उन्होंने न तो प्रेमानंद जी और न ही किसी अन्य संत के खिलाफ कोई अपमानजनक बात कही है और न ही भविष्य में ऐसा कहेंगे। उन्होंने प्रेमानंद जी को पुत्रवत बताया और कहा कि संत समाज में आपसी कोई विवाद नहीं है।

सभी को संस्कृत पढ़ने की सलाह

रामभद्राचार्य जी ने स्पष्ट किया कि सभी हिंदुओं को आपसी मतभेद भुलाकर एकजुट होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि वे स्वयं आज भी 18 घंटे अध्ययन करते हैं और सभी को संस्कृत पढ़ने की सलाह देते हैं।

उन्होंने माना कि वे चमत्कारों को महत्व नहीं देते और अपने शिष्य धीरेंद्र शास्त्री को भी पढ़ाई पर ध्यान देने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि संतों के प्रति उनका स्नेहपूर्ण भाव है और सभी को मिलकर धर्म की रक्षा में कार्य करना चाहिए। उनके मुताबिक उनके बारे में फैलाया जा रहा भ्रम गलत है।

क्या था पूरा मामला?

दरअसल, रामभद्राचार्य जी ने एक इंटरव्यू में प्रेमानंद महाराज के चमत्कारों पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि असली चमत्कार वही है जिसमें कोई व्यक्ति शास्त्रों की गहराई समझ सके और संस्कृत का सही उच्चारण कर सके। 

उन्होंने प्रेमानंद महाराज को खुली चुनौती दी थी कि अगर वे एक भी संस्कृत श्लोक बोल या समझा सकें तो वह उसे चमत्कार मानेंगे। साथ ही, उन्होंने उन्हें अपनी अवस्था में भी "बालक" कहा था। रामभद्राचार्य जी ने यह भी उल्लेख किया कि प्रेमानंद जी डायलिसिस के सहारे जीवित हैं और उन्हें शांति से जीने देना चाहिए।

अंत में उन्होंने कहा कि जब भी प्रेमानंद जी उनसे मिलने आएंगे वे उन्हें गले लगाएंगे, आशीर्वाद देंगे और उनके अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करेंगे।