सेना प्रमुख अनिल चौहान बोले- युद्ध के लिए शस्त्र और शास्त्र दोनों है जरूरी
एमपी के महू स्थित आर्मी वॉर कॉलेज में "रण संवाद" का आयोजन किया जा रहा है, जो ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार हो रहा है।

एमपी के महू स्थित आर्मी वॉर कॉलेज में "रण संवाद" का आयोजन किया जा रहा है, जो ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार हो रहा है। यह दो दिवसीय कार्यक्रम मंगलवार से शुरू हुआ, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुख शामिल हुए।
भारत को शस्त्र, सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनना होगा
अपने संबोधन में सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा कि यदि भारत को विकसित राष्ट्र बनना है तो उसे सैन्य रूप से मजबूत, सुरक्षित और आत्मनिर्भर होना होगा। उन्होंने इस दौरान DRDO द्वारा विकसित किए जा रहे एकीकृत डिफेंस सिस्टम का भी ज़िक्र किया, जिसमें QRSAM (क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल), VSHORADS (विजुअल शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम) और 5-किलोवाट लेजर शामिल हैं।
आधुनिक तकनीकों की अहम भूमिका
जनरल चौहान ने मल्टी-डोमेन इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉनाइसेंस (ISR) की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जमीन, हवा, समुद्र, अंतरिक्ष और जल के नीचे काम करने वाले सेंसर को एक नेटवर्क से जोड़ने की जरूरत है ताकि दुश्मन की गतिविधियों पर सटीक जानकारी मिल सके।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि डेटा एनालिटिक्स बेहद जरूरी है। इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), बिग डेटा और क्वांटम टेक्नोलॉजी जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करना होगा।
न्यूनतम लागत में आत्मनिर्भरता जरूरी
सीडीएस ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत को इन सभी सैन्य क्षमताओं और तकनीकी विकास को न्यूनतम लागत पर हासिल करना होगा। उन्होंने कहा कि इतने बड़े पैमाने की परियोजना के लिए देशभर में एक समन्वित दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है, लेकिन उन्हें भरोसा है कि भारतीय इसे किफायती और प्रभावी तरीके से पूरा कर पाएंगे।
उन्होंने अपने भाषण में महाभारत और गीता जैसे ग्रंथों से प्रेरणा लेने की बात भी कही और आत्मनिर्भरता को केवल तकनीकी नहीं, बल्कि वैचारिक और प्रायोगिक स्तर पर भी आवश्यक बताया।
महाभारत और गीता से उदाहरण
जनरल चौहान ने महाभारत और गीता का उदाहरण देते हुए कहा कि अर्जुन, जो कि महान योद्धा थे, उन्हें भी युद्ध में सफलता पाने के लिए भगवान कृष्ण के मार्गदर्शन की जरूरत थी। उसी तरह, चंद्रगुप्त मौर्य जैसे सक्षम सम्राट को चाणक्य जैसे बुद्धिमान गुरु का साथ मिला। उन्होंने कहा कि यह दर्शाता है कि किसी भी जीत के लिए रणनीति और युद्ध कौशल का संतुलन बेहद आवश्यक है।
उन्होंने यह भी कहा कि ‘शास्त्र’ और ‘शस्त्र’ वास्तव में एक ही तलवार की दो धार की तरह हैं—एक बिना दूसरे के अधूरा है। यही सोच भारत की सैन्य परंपरा की गहराई को दर्शाती है, जहां विचार और शक्ति दोनों का संतुलित उपयोग किया गया है।
सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने अपने भाषण में कहा कि भारत वह भूमि है जहां गौतम बुद्ध, महावीर जैन और महात्मा गांधी जैसे महान अहिंसा के प्रतीक पैदा हुए हैं। उन्होंने कहा कि ये सभी व्यक्ति शांति और अहिंसा के लिए समर्पित थे।
जनरल चौहान ने यह भी कहा कि आज के दौर में हमें समाज के हर वर्ग में जागरूकता फैलाने की जरूरत है। खासकर युद्ध की रणनीतियों, आधुनिक तकनीकों और सुरक्षा से जुड़ी प्रक्रियाओं के बारे में लोगों को जानकारी देना जरूरी है ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर समझ और सहयोग बढ़ाया जा सके।