छठ पूजा  2025 : जानिए किस दिन मनाई जाएगी छठ पूजा, क्या हैं महत्व और इतिहास  

भारत में छठ पूजा का खूब महत्व हैं। लोग काफी उत्साह से छठ पूजा मानते हैं। छठ पूजा का नाम संस्कृत के शब्द षष्ठी से लिए गया हैं।

Jul 30, 2025 - 15:59
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छठ पूजा  2025 : जानिए किस दिन मनाई जाएगी छठ पूजा, क्या हैं महत्व और इतिहास  
Chhath Puja 2025: Know on which day Chhath Puja will be celebrated, what is its importance and history

भारत में छठ पूजा का खूब महत्व हैं। लोग काफी उत्साह से छठ पूजा मानते हैं। छठ पूजा का नाम संस्कृत के शब्द षष्ठी से लिए गया हैं जिसका मतलब होता हैं छठा दिन। यह त्यौहार दिवाली के छह दिन बाद या कार्तिक महीने की षष्ठी तिथि को मनाया जाता हैं। 

संतान सुख और समृद्धि का आशीर्वाद

छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित होती है। मार्कण्डेय पुराण के मुताबिक, छठी मैया को प्रकृति की देवी और सूर्य देव की बहन माना जाता है जो संतान सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।

क्या है छठ पूजा ?

छठ पूजा आस्था का पर्व है जो कि चार दिन तक चलता है। इस दिन महिलाएँ अपने बच्चों की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए 36 घंटे का कठिन व्रत रखती हैं। यह पर्व खासकर बिहार और नेपाल के कुछ हिस्सों में बड़े श्रद्धा और विश्वास से मनाया जाता है।

छठ पूजा की प्रक्रिया

पहला दिन – स्नान और भोजन 

इस दिन महिलाएँ शुद्ध स्नान करती हैं। इस दिन गंगा में डुबकी लगाती हैं। इसके बाद महिलाएँ सिर्फ एक बार सात्विक भोजन करती हैं।

दूसरा दिन – उपवास 

पूजा के दूसरे दिन पूरा दिन उपवास रखा जाता हैं। शाम को गुड़ की खीर, रोटी और फल का भोग छठी मैया को चढ़ाया जाता हैं और फिर प्रसाद ग्रहण किया जाता हैं। जिसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है।

तीसरा दिन – सूर्य को जल अर्पण

तीसरे दिन महिलाएँ सूर्यास्त के समय सूर्य को जल चढ़ाती हैं। यह पूजा तालाब, नदी या घाटों पर की जाती है।

चौथा दिन –व्रत कि समाप्ति

चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत पूरा किया जाता है जिसे पारण कहा जाता है।

छठ पूजा की मान्यताएं

छठ पूजा अलग-अलग शहरों में विभिन्न नामों से मशहूर हैं, जैसे प्रतिहार, डाला छठ, सूर्य षष्ठी आदि। इस दौरान श्रद्धालु अपने बच्चों की सेहत, सुख और समृद्धि की कामना करते हैं।

छठ पूजा का इतिहास

छठ पूजा का संबंध रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों से भी जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि देवी सीता और भगवान राम ने भी मुंगेर (बिहार) में छठ पूजा की थी। महाभारत में कुंती ने पुत्र प्राप्ति के लिए यह व्रत किया था जिससे कर्ण का जन्म हुआ। 

द्रौपदी ने भी राज्य पुनः पाने के लिए यह व्रत किया था। इन धार्मिक कथाओं के कारण यह पूजा बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में बेहद लोकप्रिय हो गई है।