Sawan 2025: शुरू हुआ शिव भक्ति का महीना, गलती से भी ना करें यह गलतियां,यह 6 चीजें है वर्जित
Sawan 2025: सावन 2025 का महीना शुरू हो चूका है। यह महीना शिव भक्तों के लिए खूब खास रहा है। इस पूरे महीने भक्त शिव की भक्ति में डूबे रहते है।

सावन 2025 का महीना शुरू हो चूका है। यह महीना शिव भक्तों के लिए खूब खास रहा है। इस पूरे महीने भक्त शिव की भक्ति में डूबे रहते है। शिव जी को प्रसन्न करने के लिए कई तरह की पूजा, अर्चना करते है और उपवास रखते है।
ऐसे में अगर आप भी शिव जी की श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा कर रहे हैं तो यह जानना जरुरी है किन वस्तुओं से शिवलिंग का अभिषेक या पूजन करना वर्जित है। ताकि पूजा में किसी भी प्रकार का विघ्न न आए। आइये जानते है क्या है ऐसी चीजें जिसे शिवलिंग पर भूलकर भी नहीं चढ़ाना चाहिए।
शिवलिंग पर यह चीजें चढ़ाना है वर्जित-
तुलसी
तुलसी की पत्तियां भगवान विष्णु को बहुत प्रिय हैं लेकिन शिव जी की पूजा में वर्जित है। ऐसे इसलिए क्योंकि मान्यता है एक बार देवी तुलसी ने भगवान शिव का अपमान किया था जिसके कारण वो क्रोधित हो गए थे। तब से तुलसी शिव पूजा में नहीं रखी जाती है।
हल्दी
ऐसा माना जाता है कि मांगलिक कार्यों में हल्दी का इस्तेमाल करना बहुत शुभ माना जाता है। हल्दी को सांदर्य और सौभाग्य का प्रतीक भी माना गया है। इसका उपयोग भगवान शिव की पूजा में नहीं किया जाता है। क्योंकि भोलेनाथ अघोरी साधक हैं और सांसारिक दुनिया से परे हैं।
केतकी और चंपा के फूल
केतकी के फूल भी पूजा में नहीं चढ़ाने चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि मान्यता है कि केतकी के फूल ने ब्रह्मा जी से झूठ छिपाने में उनकी मदद की थी। तब से भोलेनाथ ने केवड़े के फूलों को अपनी पूजा में वर्जित कर दिया। इसलिए गलती से भी शिवलिंग पर इसको नहीं चढ़ाना चाहिए। चंपा का फूल भी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाते हैं।
टूटा हुआ बेलपत्र
भगवान शिव को बेलपत्र भी बहुत प्रिय है। लेकिन टूटा, मुरझाया या सूखा बेल पत्र महादेव को नहीं चढ़ाना चाहिए। इससे भगवान शिव रूठ जाते है। इसलिए पूजा में केवल ताजे, हरे और त्रिपद बेलपत्र ही पूजा में चढ़ाए।
सफाई के समय
इसके अलावा शिवलिंग को साफ कर समय ध्यान रखे की केवल गंगाजल और सादे जल से ही इसे साफ़ करे न की किसी डिटर्जेंट या किसी अन्य केमिकल से।
शंख का इस्तेमाल
शिव जी पूजा में शंख का भी इस्तेमाल न करे। क्योंकि शिवलिंग पर शंख से जल चढ़ाना शास्त्रों में वर्जित है। इससे पूजा में दोष उत्पन्न हो सकता है।