वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे- जानिए क्यों जरूरी है पर्यावरण को बचाना, क्या है महत्व और थीम
आज की दुनिया में पर्यावरण को बचाना कितना अहम है हर कोई जनता है। बच्चें से लेकर बूढ़े तक हर किसी को पता है कि बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग की वजह क्या है। लेकिन इसके बावजूद इंसान बदलने के लिए तैयार नहीं है।

आज की दुनिया में पर्यावरण को बचाना कितना अहम है हर कोई जनता है। बच्चें से लेकर बूढ़े तक हर किसी को पता है कि बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग की वजह क्या है। लेकिन इसके बावजूद इंसान बदलने के लिए तैयार नहीं है। अपने स्वार्थ और प्रगति के लिए कुछ भी करने को तैयार है लेकिन पर्यावरण को बचने के लिए वे कुछ नहीं करना चाहता। यदि समय रहते पर्यावरण का संरक्षण नह किया गया तो बहुत देर हो जाएगी की पछताने का भी मौका नहीं मिलेगा।
1972 से हुई थी शुरुआत-
इन्हीं सब चीजों को ध्यान में रखते हुए हर साल 5 जून को वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाना और उन्हें प्रकृति के साथ एकता बनाकर जीने के लिए प्रेरित करना है। संयुक्त राष्ट्र ने 1972 में इस दिन को मनाने की शुरुआत की थी और तभी से यह दिवस ग्लोबल लेवल पर मनाया जाता है। हर साल इस दिन को किसी विशेष थीम के साथ मनाया जाता है, जो पर्यावरण संबंधी किसी अहम मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करती है।
इस साल की थीम 'एंड प्लास्टिक पोल्युशन'-
साल 2025 के विश्व पर्यावरण दिवस की थीम ‘एंड प्लास्टिक पोल्युशन’ रखी गई है। यह विषय इसलिए लिया गया क्योंकि प्लास्टिक पोल्लुशण आज एक गंभीर वैश्विक समस्या बन चुका है। प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि यह जीव-जंतुओं और इंसानों की सेहत के लिए भी खतरनाक साबित होता जा रहा है। माइक्रोप्लास्टिक के पार्टिकल्स हवा, पानी और खाने में मिलकर मानव स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं।
हर साल करोड़ों टन प्लास्टिक का उत्पादन होता है, जिसमें से बहुत कम हिस्सा ही रिसाइकल हो पाता है। प्लास्टिक नष्ट नहीं होता, जिससे यह मिट्टी, जल और समुद्री जीवन को बुरी तरह प्रभावित करता है। समुद्रों में फेंका गया प्लास्टिक समुद्री जीवों के जीवन के लिए खतरा साबित हो रहा है, इसलिए इस प्रदूषण को रोकना अत्यंत आवश्यक है।
कब हुआ था पहला वैश्विक सम्मेलन-
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 5 जून 1972 को पर्यावरण संरक्षण पर पहला वैश्विक सम्मेलन आयोजित किया था, जिसे स्टॉकहोम सम्मेलन के नाम से जाना जाता है। इस सम्मेलन में विभिन्न देशों ने पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा की और यहीं से संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की नींव रखी गई जिसके बाद से हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।