मऊगंज में जल गंगा अभियान के कार्यक्रम में 10 लाख रुपये के खर्च को लेकर घोटाले के आरोप, जांच शुरू
मध्यप्रदेश के मऊगंज में जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत हुए एक कार्यक्रम में 10 लाख रुपए खर्च किए जाने को लेकर आशंका जताई गई है। जिसकी जांच के लिए कमेटी गठित की गई है।

मध्यप्रदेश में घोटाले कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। कभी स्कूल के रंगरोगन का घोटाला सामने आता है, तो कभी अन्य विभागों के घोटालों का राज बाहर आता है। इस बार का घोटाला गद्दे, चादर, नाश्ता और पानी की बोतलों जैसी व्यवस्थाओं को लेकर किया गया है। मध्यप्रदेश के मऊगंज में जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत हुए एक कार्यक्रम में 10 लाख रुपए खर्च किए जाने को लेकर आशंका जताई गई है। जिसकी जांच के लिए कमेटी गठित की गई है।
जनपद अध्यक्ष और सदस्यों ने लगाए आरोप
जनपद पंचायत अध्यक्ष नीलम सिंह और सदस्य सिद्दीकी ने आरोप लगाया है कि पंचायत सीईओ ने 17 अप्रैल को हुए आयोजन में बिना पर्याप्त प्रशासनिक अनुमति के एक फर्म को करीब 10 लाख रुपये का भुगतान कर दिया। उनका कहना है कि आयोजन सिर्फ 40 मिनट का था, और उसमें न तो पानी की बोतल दी गई, न नाश्ता या भोजन कराया गया।
कलेक्टर को दी गई शिकायत, जांच के आदेश
इस पूरे मामले को लेकर मऊगंज कलेक्टर अजय कुमार जैन को शिकायत सौंपी गई, जिन्होंने जिला पंचायत सीईओ के नेतृत्व में एक जांच टीम बना दी है। कलेक्टर ने कहा कि जांच के बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसी आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
फर्म का दावा—चार आयोजनों का बिल है
वहीं, भुगतान प्राप्त करने वाली प्रदीप एंटरप्राइजेज के मालिक सुरेंद्र कुमार गुप्ता का कहना है कि यह राशि सिर्फ एक नहीं, बल्कि चार आयोजनों के लिए किए गए इंतजामों का बिल है। उन्होंने बताया कि मऊगंज कार्यक्रम में मंच, माइक सेट, टेंट, गद्दे और चादरें दी गईं। साथ ही होटल से नाश्ते की व्यवस्था की गई थी, जिसका बिल अलग से जोड़ा गया। गुप्ता के मुताबिक, जिन कार्यक्रमों के खर्च शामिल हैं, उनमें मुख्यमंत्री के दो दौरे, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस और जल गंगा अभियान का आयोजन शामिल है।
बड़े नेताओं की मौजूदगी के बावजूद कार्यक्रम पर उठे सवाल
17 अप्रैल को खैरा ग्राम पंचायत में हुए कार्यक्रम में पंचायत मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम सहित कई प्रमुख नेता शामिल हुए थे। कार्यक्रम में लगभग 150 लोगों की उपस्थिति रही। इसके बावजूद जनपद पंचायत अध्यक्ष का आरोप है कि आयोजन स्थल पर जरूरी सुविधाएं मौजूद नहीं थीं और सारी व्यवस्थाएं केवल दस्तावेजों में दर्शाकर दिखावटी रूप से पेश की गईं।
बिना स्वीकृति के भुगतान
आरोप है कि कार्यक्रम के लिए प्रशासनिक रूप से केवल ढाई लाख रुपये की मंजूरी दी गई थी, लेकिन बिना किसी लिखित स्वीकृति के 10 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया। साथ ही लेखा समिति की भी अनुमति नहीं ली गई।