एक एलिमनी ऐसी भी- महिला की मांग मुंबई में आलीशान फ्लैट, 12 करोड़ रुपये और एक बीएमडब्ल्यू कार, कोर्ट ने लगाई फटकार 

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक मामले की सुनवाई की और महिला से कहा की पढ़ी-लिखी और काबिल औरतों को अपने पैरों पर खड़ा होना चाहिए और पति से गुजारा भत्ता लेने की बजाय खुद काम करके कमाना चाहिए।

Jul 23, 2025 - 16:17
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एक एलिमनी ऐसी भी- महिला की मांग मुंबई में आलीशान फ्लैट, 12 करोड़ रुपये और एक बीएमडब्ल्यू कार, कोर्ट ने लगाई फटकार 
There is also such an alimony- Woman demanded a luxurious flat in Mumbai, Rs 12 crore and a BMW car, court reprimanded her

आज कल के जमाने में लोगों को बस बैठे-बैठे आराम और ऐश करने की आदत हो गई है। यहां तक की शादी भी इसी ट्रेंड की चपेट में आ गई है। आए दिन सुनने मिलता है कि, एक दिन की शादी, चार दिन की शादी, 18 महीने की शादी टूट गई और उसके बाद लड़की को एलिमनी के रूप में इतना कुछ चाहिए की पूछिए ही नहीं। पढ़ी-लिखी होने के बावजूद, स्वयं हर काम में सक्षम होने के बावजूद उन्हें एक ईजी गोइंग लाइफ चाहिए जहां उन्हें काम न करना पड़े और बैठे-बैठे पैसे आए। 

इसी संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक मामले की सुनवाई की और महिला से कहा की पढ़ी-लिखी और काबिल औरतों को अपने पैरों पर खड़ा होना चाहिए और पति से गुजारा भत्ता लेने की बजाय खुद काम करके कमाना चाहिए।

गुजारा भत्ता मामले में हुई सुनवाई

अदालत ने ये टिप्पणी एक गुजारा भत्ता मामले की सुनवाई के दौरान की। सुनवाई का मुद्दा था कि एक महिला ने महज 18 महीने की शादी के बाद तलाक ले लिया और गुजारा भत्ता के तौर पर महिला अपने पति से मुंबई में आलीशान फ्लैट, 12 करोड़ रुपये और एक बीएमडब्ल्यू कार की मांग की थी।

सीजेआई ने उठाए सख्त सवाल

सीजेआई बीआर गवई ने महिला की इन मांगों पर सख्त सवाल उठाए है। उन्होंने कहा कि महिला एक आईटी प्रोफेशनल है और एमबीए डिग्री होल्डर है। सीजेआई ने सवालिया लहजे में कहा, "आप आईटी प्रोफेशनल हैं, एमबीए किया है, आपकी डिमांड बेंगलुरु और हैदराबाद में है... फिर आप काम क्यों नहीं करतीं?"

सीजेआई ने यह भी कहा, "आपकी शादी सिर्फ 18 महीने चली है और आप बीएमडब्ल्यू जैसी महंगी कार मांग रही हैं?" उन्होंने यह भी बताया कि महिला ने अपने पति पर सिजोफ्रेनिया का हवाला देकर शादी रद्द करने की अर्जी दी है और दावा किया है कि पति काफी अमीर है। 

कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि या तो महिला को बिना किसी शर्त के एक फ्लैट मिलेगा या फिर कुछ नहीं। क्योंकि जब वह इतनी पढ़ी-लिखी है और जानबूझकर काम नहीं कर रही, तो उसे पति की कमाई पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। 

महिलाओं को अपनी योग्यता का इस्तेमाल करना चाहिए

कोर्ट ने ये भी दोहराया कि पढ़ी-लिखी महिलाओं को अपनी योग्यता का इस्तेमाल करके खुद कमाना चाहिए, न कि सिर्फ गुजारा भत्ते पर भरोसा करना चाहिए। इससे पहले मार्च में दिल्ली हाई कोर्ट ने भी ऐसा ही फैसला दिया था।

कानून आलस को बढ़ावा नहीं देता

कोर्ट ने अपने एक फैसले में स्पष्ट कहा था कि कानून किसी भी तरह की लापरवाही या आलस्य को बढ़ावा नहीं देता। भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत पत्नी, बच्चों और माता-पिता को गुजारा भत्ता देकर उनकी सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करना है, न कि उन लोगों को काम न करने की आदत डालना जो स्वयं कमाने में सक्षम हैं।

हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर कोई महिला शिक्षित है और उसे अच्छे पद पर काम करने का अनुभव भी है तो वह सिर्फ गुजारा भत्ता पाने के लिए निष्क्रिय नहीं रह सकती। ऐसे मामलों में जब पत्नी में कमाने की योग्यता और अवसर मौजूद हों, तो कोर्ट अंतरिम गुजारा भत्ता देने से इनकार कर सकता है। 

क्या है 2024 का एहम फैसला

इसके अलाव सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2024 में एक अहम फैसले में कहा था कि तलाक के बाद पति की आर्थिक तरक्की पर पत्नी का कोई अधिकार नहीं होता। 

जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और पंकज मिथल की पीठ ने बोला की पति की मौजूदा आर्थिक स्थिति के आधार पर पत्नी को हमेशा गुजारा भत्ता देने की अपेक्षा नहीं की जा सकती। अगर पति तलाक के बाद आगे बढ़ रहा है और उसकी आमदनी बढ़ रही है तो उसके अनुसार गुजारा भत्ता मांगना उसकी निजी प्रगति पर अनुचित दबाव होगा।