क्रांग्रेस बीजेपी में फिर छिड़ी जंग, स्मृति ईरानी को कह दिया जॉर्ज सोरोस का असली एजेंट
भारत में चुनावी मतदान दर बढ़ाने के लिए यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) से की गई फंडिंग को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। अब कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि कहीं भाजपा नेता स्मृति ईरानी ही अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस की ‘असली एजेंट’ तो नहीं हैं। कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पर निशाना साधते हुए उनके USAID के ‘गुडविल एंबेसडर’ होने का हवाला दिया है।

भारत में चुनावी मतदान दर बढ़ाने के लिए यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) से की गई फंडिंग को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। अब कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि कहीं भाजपा नेता स्मृति ईरानी ही अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस की ‘असली एजेंट’ तो नहीं हैं। कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पर निशाना साधते हुए उनके USAID के ‘गुडविल एंबेसडर’ होने का हवाला दिया है।
कांग्रेस ने स्मृति ईरानी पर उठाए सवाल
कर्नाटक के मंत्री और कांग्रेस नेता प्रियांक खरगे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में कहा, "सरकार की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, स्मृति ईरानी की जीवनी में उल्लेख है कि उन्होंने भारत में USAID की 'गुडविल एंबेसडर' के रूप में काम किया है। क्या इसका मतलब यह है कि भाजपा नेता जॉर्ज सोरोस की असली एजेंट हैं?"
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "यह अद्भुत है! हमें आखिरकार भाजपा के पसंदीदा सवाल का जवाब मिल गया—रसोई में कौन था? जॉर्ज सोरोस की असली एजेंट स्मृति ईरानी निकलीं।"
बीजेपी ने स्मृति ईरानी और USAID के रिश्ते पर दी सफाई
भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कांग्रेस के आरोपों का खंडन करते हुए स्पष्ट किया कि स्मृति ईरानी को 2002 से 2005 तक विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट्स (ORS) के गुडविल ब्रांड एंबेसडर के रूप में नियुक्त किया गया था। उस समय, वह टेलीविजन धारावाहिक 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' के कारण बेहद लोकप्रिय थीं।
मालवीय ने आगे बताया कि इस डब्ल्यूएचओ अभियान को दिल्ली परिवहन निगम (DTC) ने भी समर्थन दिया था, जिसके तहत बसों पर प्रचार सामग्री प्रदर्शित की गई थी। उस समय दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित थीं, और कांग्रेस नेता पवन खेड़ा उनके निजी सहायक के रूप में काम कर रहे थे। मालवीय ने खेड़ा पर कटाक्ष करते हुए कहा, "वे तब शीला दीक्षित के चप्पल और सूटकेस संभालने जैसे छोटे-मोटे काम किया करते थे। इसलिए, ऐसे महत्वपूर्ण अभियानों की जानकारी रखना शायद उनके स्तर से ऊपर की बात थी।"
अमित मालवीय ने आगे कहा, "आईआईएम इंदौर की एक रिपोर्ट में इस कार्यक्रम की सफलता को दर्ज किया गया है। क्या यह बताने की जरूरत है कि 2004 और 2005 के दौरान कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार सत्ता में थी?"
उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, "कांग्रेस को अब स्मृति ईरानी को लेकर चिंता करना बंद कर देना चाहिए। यह सच्चाई कि उन्होंने राहुल गांधी को चुनाव में हराया था, कांग्रेस के लिए एक स्थायी दुःस्वप्न बना हुआ है।"
मालवीय और खेड़ा के बीच जुबानी जंग तेज
इस मुद्दे पर अमित मालवीय और पवन खेड़ा के बीच तीखी बहस छिड़ गई। खेड़ा ने मालवीय पर पलटवार करते हुए कहा, "भाजपा आईटी सेल के लोग शीला दीक्षित को डब्ल्यूएचओ की ओआरएस पहल शुरू करने वाला बताकर हमें शर्मिंदा करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह हमारे लिए गर्व की बात है।"
उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, "पहले आप USAID, सोरोस और वैश्विक सहयोग को बदनाम करते हैं, फिर अपनी घरेलू विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए तथाकथित 'बाहरी हस्तक्षेप' का सहारा लेते हैं। जब आपकी पोल खुल जाती है, तो आप बचाव में बेवजह 'और तुम क्या' वाली बातें करने लगते हैं।"
खेड़ा ने आगे कहा, "हम शासन और भू-राजनीति में वैश्विक सहयोग की भूमिका को समझते और स्वीकार करते हैं।"
खेड़ा का बीजेपी पर जोरदार हमला
पवन खेड़ा ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, "अपने आकाओं से पूछो कि USAID ने कैशलेस अर्थव्यवस्था का समर्थन क्यों किया। उनसे यह भी पूछो कि उन्होंने किसके दबाव में नोटबंदी लागू की।"
उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिकी प्रशासन द्वारा फंडिंग बंद करने के बाद भाजपा ने अब USAID की चुनावी फंडिंग को लेकर कांग्रेस पर हमला करना शुरू कर दिया है। भाजपा लंबे समय से कांग्रेस नेतृत्व पर जॉर्ज सोरोस के एजेंट होने का आरोप लगाती रही है, जिन्हें भारत विरोधी रुख के लिए जाना जाता है।
इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी भारत में वोटर टर्नआउट बढ़ाने के नाम पर USAID द्वारा दी गई फंडिंग की आलोचना की है।