रीवा में गर्भवती महिलाओं को गुजरात की बैन कंपनी का इंजेक्शन लगा दिया गया,  पांच महिलाओं की याददाश्त चली गई

जिले के संजय गांधी मेडिकल कॉलेज में एक गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है, जहां 5 गर्भवती महिलाओं को एक ऐसी कंपनी का इंजेक्शन लगा दिया गया था, जिसे पहले ही ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था।

Apr 9, 2025 - 13:27
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रीवा में गर्भवती महिलाओं को गुजरात की बैन कंपनी का इंजेक्शन लगा दिया गया,  पांच महिलाओं की याददाश्त चली गई
Pregnant women in Rewa were given injection of a banned company of Gujarat five women lost their memory

जिले के संजय गांधी मेडिकल कॉलेज में एक गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है, जहां 5 गर्भवती महिलाओं को एक ऐसी कंपनी का इंजेक्शन लगा दिया गया था, जिसे पहले ही ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था। इस घटना के बाद महिलाओं की याददाश्त में गड़बड़ी आ गई। जांच में यह सामने आया कि अस्पताल के स्टोरकीपर की गलती के कारण यह इंजेक्शन उपयोग में लाया गया था।

विदिशा से आई पहली शिकायत 

पहली शिकायत विदिशा से आई थी, जहां अक्टूबर 2024 में विदिशा मेडिकल कॉलेज से इस इंजेक्शन को लेकर शिकायत दर्ज की गई थी। उसके बाद से इस दवा पर रोक लगा दी गई थी। हेल्थ कॉर्पोरेशन के एमडी मयंक अग्रवाल ने बताया कि दिसंबर में रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि फार्मासिस्ट द्वारा दवा जारी की गई थी, इसलिए उसके खिलाफ कार्रवाई की गई है।

स्टोरकीपर ने दिया था इंजेक्शन 

इस मामले में स्टोरकीपर को सस्पेंड कर दिया गया है, लेकिन अन्य अधिकारियों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस लापरवाही के कारण कंपनी पर जुर्माना भी लगाया गया है और उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। यह घटना रीवा के संजय गांधी मेडिकल कॉलेज में घटी थी।

पहले से ही ब्लैकलिस्ट थी कंपनी

रीवा के संजय गांधी मेडिकल कॉलेज में 5 गर्भवती महिलाओं को एनेस्थीसिया का इंजेक्शन दिया गया, जो गुजरात स्थित रेडिएंट पैरेंटेरल्स लिमिटेड कंपनी द्वारा निर्मित था। इस कंपनी को दिसंबर में ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था, क्योंकि इंजेक्शन की गुणवत्ता खराब थी।

जांच में यह खुलासा हुआ कि अस्पताल के स्टोरकीपर प्रवीण उपाध्याय ने गलती से यह इंजेक्शन जारी कर दिया था। इसके बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया, लेकिन इतनी बड़ी लापरवाही के बावजूद बाकी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह भी सामने आया कि स्टोर में दवाइयों के तापमान का ठीक से ध्यान नहीं रखा जा रहा था और दवाइयों का कोई रिकॉर्ड भी नहीं रखा जा रहा था। साथ ही, खराब दवाइयों को अच्छी दवाइयों के साथ रखा जा रहा था।

5 साल के लिए कंपनी को किया डिबार

कंपनी को 5 साल के लिए डिबार कर दिया गया है, जिसका अर्थ है कि वह अगले 5 साल तक कोई सरकारी काम नहीं कर सकेगी। इसके अलावा, कंपनी को 2 साल के लिए ब्लैकलिस्ट भी किया गया है और उस पर ₹3.01 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि दिसंबर में इस इंजेक्शन को खराब घोषित कर दिया गया था और इसके बाद इसे पोर्टल पर ब्लॉक कर दिया गया था, जिससे इसका उपयोग नहीं किया जा सकता था। इसके बावजूद, 25 फरवरी को स्टोर से 100 वायल निकाले गए और डिलीवरी में उपयोग किए गए। 4 मार्च को जांच टीम ने 70 वायल जब्त कर लिए, लेकिन बाकी 30 इंजेक्शन कहां गए, इसका कोई पता नहीं चल पाया।न बाकी 30 इंजेक्शन कहां गए, यह अभी तक किसी को नहीं पता।