जानिए किस दिन मनाई जाएगी सीता नवमी, क्या है शुभ मुहूर्त और महत्व
सीता नवमी का हिन्दू धर्म में बड़ा महत्व है। यह दिन माता सीता के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।

सीता नवमी का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। यह दिन माता सीता के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इसी दिन माता सीता का धरती पर अवतरण हुआ था। यह पर्व हर साल वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है और यह दिन जानकी जयंती के नाम से भी जाना जाता है। वहीं, इस दिन कई शुभ योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है।
शुभ योग-
कब है सीता नवमी-
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 5 मई को सुबह 7 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी। वहीं तिथि का समापन अगले दिन यानी 6 मई को सुबह 8 बजकर 38 मिनट पर होगा। पंचांग गणना के आधार पर इस साल सीता नवमी का व्रत 5 मई को रखा जाएगा।
पूजा मंत्र-
श्री सीतायै नमः।।
ॐ श्री सीता रामाय नमः।।
सीता नवमी पूजा विधि-
- सीता नवमी के दिन सुबह उठकर स्नान करें और साप कपड़े पहनें।
- पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और एक वेदी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं।
- माता सीता और भगवान राम की प्रतिमा स्थापित करें, उन्हें फूल, फल, धूप, दीप और फल-मिठाई अर्पित करें। सीता चालीसा व जानकी स्तोत्र का पाठ करें।
- माता सीता और भगवान राम के वैदिक मंत्रों का जाप करें और अंत में आरती करने के बाद पूजा में हुई गलतियों के लिए माफी मांगे।
सीता नवमी का महत्व-
सुहागन महिलाओं के लिए सीता नवमी का व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से पति की लंबी उम्र और परिवार में खुशहाली बनी रहती है। कहा जाता है कि इस दिन माता सीता की श्रद्धा पूर्वक पूजा करने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख और शांति का वास होता है। इसलिए इस दिन देवी की पूजा विधिवत करें और तामसिक वस्तुओं से परहेज रखें।