Google को बड़ा झटका, सही साबित हुए कंपनी पर लगे मोनोपोली के आरोप
टेक्नोलॉजी दिग्गज Google को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। अमेरिका की वॉशिंगटन डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने गूगल पर डिजिटल विज्ञापन बाज़ार में मोनोपोली कायम करने के आरोपों को सही ठहराया है।

टेक्नोलॉजी दिग्गज Google को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। अमेरिका की वॉशिंगटन डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने गूगल पर डिजिटल विज्ञापन बाज़ार में मोनोपोली कायम करने के आरोपों को सही ठहराया है। कंपनी पर फेडरल सरकार और कई अमेरिकी राज्यों ने एंटी-ट्रस्ट कानूनों के उल्लंघन का मुकदमा दर्ज किया है।
डिजिटल विज्ञापन के तीन प्रमुख क्षेत्रों में दबदबा-
आरोप है कि Google ने पब्लिशर ऐड सर्वर, एडवर्टाइजर टूल्स और एड एक्सचेंज – इन तीनों क्षेत्रों में अपना वर्चस्व कायम किया है। यह दावा किया गया है कि अधिकांश वेबसाइट्स को गूगल के ऐड सॉफ्टवेयर टूल्स का उपयोग करना पड़ता है, जिससे वे गूगल की एड-टेक से बाहर नहीं निकल पातीं।
जज का बयान और संभावित परिणाम-
कोर्ट की जज लियोनी ब्रिंकेमा ने कहा कि गूगल ने ओपन-वेब डिस्प्ले विज्ञापन के क्षेत्र में एकाधिकार बनाए रखने के लिए जानबूझकर प्रतिस्पर्धा-विरोधी रणनीतियां अपनाईं। कंपनी ने न सिर्फ प्रतिस्पर्धियों को पीछे करने की कोशिश की बल्कि कुछ उपयोगी प्रोडक्ट फीचर्स को भी खत्म कर दिया ताकि उसका वर्चस्व बना रहे। यह मुकदमा इतना गंभीर है कि इसके परिणामस्वरूप कंपनी को तोड़ा भी जा सकता है।
पहले भी लग चूका है जुर्माना-
गूगल के खिलाफ यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई देशों ने उस पर एंटी-ट्रस्ट नियमों के उल्लंघन को लेकर भारी जुर्माने लगाए गए हैं। गूगल अपनी मुफ्त सेवाओं जैसे जीमेल, सर्च और मैप्स के माध्यम से ऑनलाइन विज्ञापन बाज़ार में दबदबा बनाए रखता है। हालांकि, गूगल कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है।