शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष के लिए भरी उड़ान, देश ने फिर रचा इतिहास
40 करोड़ लोगों की निगाहें उस वक्त सिर्फ एक क्षण को देखने के लिए टिकी रह गईं। जब पूरे 41 साल बाद किसी भारतीय ने अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी। शुभांशु शुक्ला दूसरे भारतीय है जो स्पेस पर गए हैं।

40 करोड़ लोगों की निगाहें उस वक्त सिर्फ एक क्षण को देखने के लिए टिकी रह गईं। जब पूरे 41 साल बाद किसी भारतीय ने अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी। शुभांशु शुक्ला दूसरे भारतीय है जो स्पेस पर गए हैं। यह पूरे देश के लिए गौरव की बात है। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला आज ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के जरिए अंतरिक्ष के लिए रवाना हो गए हैं। यह मिशन एक्सिओम मिशन 4 के तहत लॉन्च हुआ, जो अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भर चुका है। उनके साथ अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री भी हैं। यह मिशन भारत के लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) तक पहुंचने वाले भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री बनने जा रहे हैं। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा रूसी मिशन के जरिए अंतरिक्ष गए थे।
स्पेस सूट की कीमत और विशेषताएं
अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बनाए गए विशेष स्पेस सूट काफी महंगे होते हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा बनाए गए स्पेससूट्स की कीमत आमतौर पर 10 मिलियन से 22 मिलियन डॉलर के बीच होती है। यह कीमत सूट के मॉडल और उसमें लगे उपकरणों पर निर्भर करती है। वर्तमान में नासा द्वारा तैयार किया जा रहा xEMU स्पेस सूट करीब 1 अरब डॉलर (लगभग 8,355 करोड़ रुपये) का है। इसकी ऊंची कीमत में सबसे बड़ा योगदान इसकी एडवांस्ड टेक्नोलॉजी और सुरक्षा उपायों का है।
पुराने समय में, जैसे कि 1974 के अपोलो मिशन के दौरान इस्तेमाल हुए सूट की कीमत भी 15–22 मिलियन डॉलर थी, जो आज के हिसाब से 83–122 मिलियन डॉलर तक पहुंच जाती है।
स्पेस सूट की मुख्य खूबियां
यह सूट अंतरिक्ष के अत्यधिक तापमान में भी अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित रखता है। यह -150°C से लेकर +120°C तक के तापमान में काम करने में सक्षम होता है।
यह यात्रियों को माइक्रोमीटियोराइट्स (छोटे पत्थरों) और रेडिएशन से बचाता है।
इसमें ऑक्सीजन की सप्लाई, तापमान नियंत्रण और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालने की तकनीक होती है।
यह सूट एक तरह से एक मिनी स्पेसशिप की तरह काम करता है जिसमें कंप्यूटर सिस्टम, एयर कंडीशनिंग, ऑक्सीजन सप्लाई, पीने का पानी और एक इनबिल्ट टॉयलेट तक होता है।
बैकअप और सुरक्षा
स्पेस सूट में बैकअप की भी व्यवस्था होती है। इसका बैकपैक सिस्टम ऑक्सीजन प्रदान करता है और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालता है। किसी आपातकालीन स्थिति में यह बैकअप बेहद काम आता है। इसके अलावा यह सूट सूर्य की हानिकारक किरणों और अंतरिक्ष के कठोर वातावरण से भी सुरक्षा प्रदान करता है।
इस प्रकार, स्पेस सूट न सिर्फ एक पोशाक होता है, बल्कि यह अंतरिक्ष यात्री के लिए जीवन रक्षा प्रणाली की तरह काम करता है, जिससे वे बिना किसी परेशानी के अपने मिशन को सफलतापूर्वक पूरा कर पाते हैं।