MP सरकार के 34 विभाग नहीं दे पा रहे बजट की जानकारी, CAG को बार-बार पत्र भेजने के बाद भी नहीं मिला जवाब
मध्य प्रदेश सरकार के कई विभागों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। महालेखाकार (CAG) कार्यालय द्वारा मांगी गई अहम वित्तीय जानकारी अब तक राज्य के 34 विभाग नहीं दे पाए हैं।

मध्य प्रदेश सरकार के कई विभागों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। महालेखाकार (CAG) कार्यालय द्वारा मांगी गई अहम वित्तीय जानकारी अब तक राज्य के 34 विभाग नहीं दे पाए हैं। यह जानकारी 31 मार्च 2025 की स्थिति तक मांगी गई थी, जिसमें विभागों के अधीन बजट नियंत्रण अधिकारियों से यह पूछा गया था कि उनके खातों में बैंकों में कितनी राशि जमा है और कौन-कौन सी बड़ी योजनाएं या परियोजनाएं अधूरी हैं।
बार-बार पत्र लिखने के बाद भी नहीं मिला जवाब
CAG ने पहली बार 29 अप्रैल, फिर 20 मई और 24 जुलाई को पत्र भेजकर जानकारी मांगी थी। जब कोई ठोस जवाब नहीं मिला, तो महालेखाकार कार्यालय ने सीधे प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र भेजा। इसके बाद एक अगस्त को वित्त विभाग और मुख्य सचिव को अलग-अलग पत्र लिखकर विभागों से जानकारी दिलाने का अनुरोध किया गया।
वित्त विभाग ने सभी संबंधित विभागों को कई बार निर्देश भी भेजे, लेकिन अधिकांश विभागों की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। इस लापरवाही के कारण सरकार की वित्तीय रिपोर्टिंग प्रभावित हो रही है और राज्य के वित्तीय लेनदेन का ब्यौरा तैयार करने में दिक्कतें आ रही हैं।
ये विभाग नहीं दे रहे जानकारी
राजस्व, लोक परिसंपत्ति प्रबंधन, एमएसएमई, जनजातीय कार्य, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा, अनुसूचित जाति कल्याण, कुटीर एवं ग्रामोद्योग, महिला एवं बाल विकास, वाणिज्यिक कर, संसदीय कार्य, विमानन, लोक सेवा प्रबंधन, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास, वित्त, गृह, स्कूल शिक्षा, विधि, जनसंपर्क, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, संस्कृति, उच्च शिक्षा, सामान्य प्रशासन, वन, खनिज साधन, कृषि, श्रम, लोक स्वास्थ्य, नगरीय विकास, मछुआ कल्याण, मत्स्य और लोक निर्माण जैसे अनेक अहम विभागों ने अब तक मांगी गई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई है, जिससे उनकी उदासीनता और गैरजिम्मेदार रवैया स्पष्ट रूप से सामने आया है।
कौन-कौन सी जानकारी मांगी गई थी
वित्त विभाग ने जिन जानकारियों की मांग की थी, उनमें तय बजट से इतर खर्च, अनपेड बिलों की देनदारियां, बैंकों में जमा राशि, पंचायतों को दी जाने वाली बकाया ग्रांट, अधूरी बड़ी परियोजनाएं, नए ऋण और उनकी अदायगी की स्थिति, सरकारी कंपनियों और सहकारी संस्थाओं को दी गई सहायता, PPP और जनभागीदारी परियोजनाएं, सिंचाई और बिजली योजनाओं के वित्तीय परिणाम, संस्थाओं को दी गई ग्रांट, लाभांश रिपोर्ट, और संभावित कैश फ्लो जैसे महत्वपूर्ण बिंदु शामिल थे।