सतना: 24 घंटे बीते आरोपी अब भी फरार, आरोपी पर 30 हजार का ईनाम घोषित
मध्य प्रदेश के सतना जिले में थाने के बैरक के भीतर हेड कॉन्स्टेबल को गोली मारने की चौंकाने वाली घटना को 24 घंटे गुजर चुके हैं, लेकिन आरोपी आदर्श शर्मा अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है।

मध्य प्रदेश के सतना जिले में थाने के बैरक के भीतर हेड कॉन्स्टेबल को गोली मारने की चौंकाने वाली घटना को 24 घंटे गुजर चुके हैं, लेकिन आरोपी आदर्श शर्मा अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। मामले की गंभीरता को देखते हुए सतना एसपी ने संबंधित थाना प्रभारी को पुलिस लाइन अटैच कर दिया है। साथ ही आरोपी की गिरफ्तारी के लिए 30 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है।
हेड कॉन्सटेबल को थाने में घुसकर मारी थी गोली
सतना जिले में 28 अप्रैल की देर रात करीब 12 बजे जैतवारा थाना परिसर की बैरक में आदर्श शर्मा उर्फ अच्छू शर्मा नकाब पहनकर दाखिल हुआ और ड्यूटी से फुरसत पाकर भोजन की तैयारी कर रहे हेड कांस्टेबल प्रिंस गर्ग को गोली मार दी। वारदात के बाद आरोपी मौके से फरार हो गया। घायल प्रिंस गर्ग को तुरंत सतना जिला अस्पताल पहुंचाया गया, जहां प्रारंभिक इलाज के बाद उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें रीवा मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया।
आरोपी पुलिस की पहुंच से बाहर
घटना की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए सतना एसपी आशुतोष गुप्ता ने त्वरित कदम उठाते हुए जैतवारा थाना प्रभारी विजय सिंह को लाइन हाजिर कर दिया है। आरोपी आदर्श शर्मा की पकड़ के लिए पुलिस ने 12 विशेष टीमें बनाई हैं, जो मध्य प्रदेश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर तक लगातार छापेमारी कर रही हैं। मामले की निगरानी आईजी स्तर पर की जा रही है, और आरोपी की गिरफ्तारी के लिए 30 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है। एसपी स्वयं इन टीमों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
आरोपी पर पहले से ही कई मामले दर्ज
आदर्श शर्मा उर्फ अच्छू का आपराधिक इतिहास पहले से ही गंभीर रहा है। उसके खिलाफ कोलगवां थाने में दो, कोटर थाने में एक, और जैतवारा थाने में पेट्रोल पंप पर उपद्रव से जुड़ा एक मामला दर्ज है। आरोपी मूल रूप से मेहुती गांव का निवासी है, लेकिन उसकी गतिविधियां शहर के संतोषी माता मंदिर क्षेत्र में अधिक देखी गई हैं।
आम जनता की सुरक्षा पर उठ रहे सवाल
यह घटना जहां पुलिस विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है, वहीं आम नागरिकों के मन में भी सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता पैदा हो गई है। यह सवाल उठने लगा है कि जब थाने के भीतर ही पुलिसकर्मी सुरक्षित नहीं हैं, तो आम जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी कौन निभाएगा?