सुहागिनों ने रखा वट सावित्री व्रत, पति की लंबी उम्र की कामना
ज्येष्ठ मास की अमावस्या को वट सावित्री व्रत रखा जाता है। पति की लंबी आयु की कामना के साथ इस दिन वट वृक्ष की पूजा की जाती है।

ज्येष्ठ मास की अमावस्या को वट सावित्री व्रत रखा जाता है। पति की लंबी आयु की कामना के साथ इस दिन वट वृक्ष की पूजा की जाती है। कहते है कि बरगद यानी वट वृक्ष की आयु लंबी होती है। इसलिए सुहागिन महिलाएं इस वृक्ष की पूजा के साथ अपने सुहाग की लंबी उम्र मांगती है। बरगद के पेड़ में ब्रम्हा, विष्णु और महेश त्रीदेव का वास होता है, इसलिए इस वृक्ष की पूजा करने से तीनों ही देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सुख, समृद्धि आती है और बच्चों को भी स्वस्थ रहने का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
सोलह श्रृंगार करके वट वृक्ष की पूजा
कहते है कि देवी सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज को लौटाने के लिए विवश कर दिया था। इसलिए इसे वट सावित्री व्रत कहते हैं। इस दिन वट वृक्ष की पूजा करने के साथ ही सावित्री और सत्यवान की कथा की जाती है। महिलाएं सोलह श्रृंगार करके पूजा अर्चना करती हैं। सभी सुहागिन महिलाएं एक-दूसरे को सुहाग की वस्तुओं का दान करती हैं। सिंदूर, चूड़ी और प्रसाद देती हैं।
वट वृक्ष की करती हैं परिक्रमा
वट वृक्ष में महिलाएं पूजा के बाद कच्चा सूत बांधती हैं और परिक्रमा करती हैं। वट वृक्ष में बंधा हुआ कच्चा सूत कई महिलाओं का विश्वास और आस्था है। त्रीदेव से आस है कि उनका व्रत निश्चित ही सफल होगा। भगवान हर संकट से उनके सुहाग को सुरक्षित रखेंगे।