CRPF के डॉग स्क्वॉड में हो रहे बदलाव, अब लेब्रा की जगह बेल्जियम मेलिनोइस ने ली
CRPF अपनी डॉग स्क्वॉड में बड़ा परिवर्तन ला रही है। जहां पहले K-9 यूनिट में लेब्राडोर नस्ल के कुत्तों का दबदबा था, अब उनकी जगह बेल्जियम मेलिनोइस को तरजीह दी जा रही है।

CRPF अपनी डॉग स्क्वॉड में बड़ा परिवर्तन ला रही है। जहां पहले K-9 यूनिट में लेब्राडोर नस्ल के कुत्तों का दबदबा था, अब उनकी जगह बेल्जियम मेलिनोइस को तरजीह दी जा रही है। इसका प्रमुख कारण यह है कि मेलिनोइस डॉग्स लंबे समय तक थके बिना काम करने में सक्षम होते हैं, जो उन्हें लेब्राडोर से ज्यादा प्रभावी बनाता है। इसी वजह से छत्तीसगढ़ की कर्रेगुट्टा पहाड़ियों में 21 अप्रैल से 11 मई तक चले ऑपरेशन 'ब्लैक फॉरेस्ट' में CRPF ने केवल बेल्जियम मेलिनोइस डॉग्स को तैनात किया, जबकि लेब्राडोर को शामिल नहीं किया गया।
CRPF के पास अब 1000 से ज्यादा डॉग्स
CRPF अपनी डॉग स्क्वॉड में अहम बदलाव कर रही है। पहले K-9 यूनिट में लेब्राडोर नस्ल के कुत्तों का बोलबाला था, लेकिन अब उनकी जगह बेल्जियम मेलिनोइस को तरजीह दी जा रही है। इसका मुख्य कारण यह है कि मेलिनोइस कुत्ते लेब्राडोर की तुलना में ज्यादा देर तक बिना थके काम करने में सक्षम होते हैं। इसी वजह से छत्तीसगढ़ की कर्रेगुट्टा पहाड़ियों में 21 अप्रैल से 11 मई तक चले ऑपरेशन ‘ब्लैक फॉरेस्ट’ में CRPF ने केवल बेल्जियम मेलिनोइस डॉग्स को तैनात किया, जबकि लेब्राडोर को शामिल नहीं किया गया।
ऑपरेशन 'ब्लैक फॉरेस्ट' के दौरान बेल्जियम मेलिनोइस नस्ल के डॉग्स ने शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने 450 से ज्यादा IEDs में से 350 से अधिक विस्फोटकों का पता लगाकर सुरक्षाबलों की जान बचाई। इस अभियान में यूनिट के सबसे बेहतरीन डॉग रोलो ने भी अहम भूमिका निभाई, लेकिन दुर्भाग्यवश, IED खोजते समय उस पर मधुमक्खियों के झुंड ने हमला कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। रोलो की बहादुरी और सेवा के सम्मान में CRPF ने उसे डीजी डिस्क से सम्मानित किया।