कम खर्च में महंगे कपड़ों का शौक पूरा कर रहा रेंटिंग फैशन
शादी के लिए हम अक्सर महंगे कपड़ों को खरीदते हैं, जब हम शादी की खरीदी कर रहे होते हैं, तब हमें यह लगता है कि कपड़े बेहतरीन होने चाहिए। बाद में इन कपड़ों की कोई वैल्यू नहीं रह जाती। हमें कई बार अपनी अलमारी में देखने पर लगता है कि ये ड्रेस क्यों ले ली।
 
                                    रेंटिंग कपड़ों का बढ़ता कारोबार, पर्यावरण को भी कर रहा सुरक्षित
शादी के लिए हम अक्सर महंगे कपड़ों को खरीदते हैं, जब हम शादी की खरीदी कर रहे होते हैं, तब हमें यह लगता है कि कपड़े बेहतरीन होने चाहिए। बाद में इन कपड़ों की कोई वैल्यू नहीं रह जाती। हमें कई बार अपनी अलमारी में देखने पर लगता है कि ये ड्रेस क्यों ले ली। शादी के कपड़ों की एक और खासियत होती है कि उन्हें हम दोबारा इस्तेमाल करने में काफी झिझक महसूस करते हैं। ऐसा ही खयाल सेलिब्रिटीज को भी आता है। एक इंटरव्यू के दौरान नीरज वढेरा एक लग्जरी रैंटल बुटीक रैप्ड के ऑनर ने कहा मैं 2009 में एक शादी में गया था। शादी के बाद मैं इस बात से परेशान था कि अब इन महंगे कपड़ों का क्या करूंगा। मुझे तब समझ आया कि मेरी ये परेशानी तो कई लोगों के समान है। यही मेरे नए बिजनेस का सेंटर पॉइंट बना। इन्होंने 2009 में एक लग्जरी रैंटल बुटीक रैप्ड की नींव रखी। तब से अब तक भारत में कई प्लेयर्स इस इंडस्ट्री में कदम रख चुके हैं। लहंगे और शेरवानी के अलावा अब आप हाई-एंड बैग, जूते, कपड़े और कई ऐसे पार्टी प्रोडक्ट्स इनकी वेबसाइट्स से रेंट यानी किराए पर ले सकते हैं। 
रैंटल फैशन पहुंच और ऑनरशिप के बीच एक ब्रिज का काम कर रहा है। इसी वजह से यंग कंज्यूमर्स रेंटल फैशन को अपना रहे हैं। बिजनेस रिपोर्ट्स के अनुसार ग्लोबली ऑनलाइन रेंटल फैशन की ग्रोथ 2021 से 2031 तक 11 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। वहीं इन रिपोर्ट्स का ये भी मानना है कि ऑनलाइन कपड़ों को किराए पर लेने का बाजार ग्लोबली 2025 तक 20 हजार करोड़ रुपए तक हो जाएगा। रेंटल फैशन की इस ग्रोथ के पीछे जेन-जी जनरेशन के बीच कार्बन फुटप्रिंट्स के बारे में बढ़ती जागरुकता हैं। इसके अलावा एक फैक्टर लोगों का सब्सक्रिप्शन बेस्ड मॉडल को पसंद करना भी है। 
इको-फ्रेंडली है रेंटल फैशन
रेंटल फैशन फास्ट फैशन की तुलना में कहीं अधिक पर्यावरण के अनुकूल है। इसकी सबसे पहली वजह है- रेंटल इंडस्ट्री के कपड़ों का दोबारा से उपयोग होना। स्टडीज से पता चला है कि नए कपड़ों की तुलना में रेंटिंग फैशन से पानी, एनर्जी और कार्बन उत्सर्जन की बचत हुई है। 2010 से रेंटल फैशन ने 1.3 अरब से अधिक कपड़ों के उत्पादन को रोका है, जिससे 6.7 करोड़ गैलन पानी, 9.86 करोड़ किलोवॉट एनर्जी और 2 करोड़ किलो कार्बन उत्सर्जन की बचत हुई है।
भारत में ये कंपनियां है मौजूद
Fly Robe- भारत का सबसे बड़ा रेंटल स्टोर है। कई सेलिब्रिटीज इसके कपड़ों का इस्तेमाल करते हैं। मुंबई की ये कंपनी 2015 में शुरू हुई थीं। 
Swishlist- भारत की पहली डोर-टू-डोर रेंटल सर्विस देने वाली कंपनी है। फिलहाल ये दिल्ली के साथ मुंबई, पुणे और बैंगलोर में मौजूद है। 
Wrapd- कंपनी की शुरूआत 2009 में हुई थी। तब लोगों को ये आइडिया बेतुका लगा, लेकिन आज इसके स्टोर्स दिल्ली, जयपुर और हैदराबाद में मौजूद हैं। 
Stage 3- ये लगभग आधी कीमत पर डिजाइनर कपड़े रेंट पर देने वाला ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है। हाल ही में इसने दिल्ली में फैशन बस लॉन्च की थी।                        
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

 
                                                                                                                                             
                                                                                                                                             
                                                                                                                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                            