मनोकामना पूर्ति के लिए करें अनंत चतुर्दशी का व्रत
कहते है कि गणेश उत्सव में अनंत चतुर्दशी का भी विशेष महत्व होता है। यह दिन होता है बप्पा की विदाई का। भगवान गणेश का घर-घर आगमन होना और उसके बाद उनकी विदाई करना यह हर किसी के लिए एक अहसास है।
 
                                    कहते है कि गणेश उत्सव में अनंत चतुर्दशी का भी विशेष महत्व होता है। यह दिन होता है बप्पा की विदाई का। भगवान गणेश का घर-घर आगमन होना और उसके बाद उनकी विदाई करना यह हर किसी के लिए एक अहसास है। पहले आने का उत्साह और फिर उन्हे विदा करने की बेला। भारी मन से ही सही लोग बप्पा को विदा करते हैं और अगले साल आने की कामना करते हैं। अनंत चौदस को सिर्फ भगवान गणेश की विदाई नहीं होती। इस दिन व्रत करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। यह व्रत मनोकामना पूर्ति व्रत होता है। जिसमें भगवान विष्णु की शेष सैय्या वाली प्रतिमा की पूजा की जाती है। उनके साथ मां लक्ष्मी को भी पूजा जाता है। जो भी इस व्रत को पूरे विधि विधान के साथ करता है। उसे भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और हर मनोकामना पूरी होती है।
14 गाठों की डोर होती है अनंता
अनंत चौदस को भगवान गणेश की विदाई के वक्त उन्हें रेशमी धागों में चौदह गाठों को बांधकर चढ़ाया जाता है, लेकिन इसका संबंध भगवान विष्णु के पूजन से भी होता है। जो लोग इस व्रत को नहीं करते वे भगवान गणेश को लाल, पीले, नारंगी रेशमी धागों को 14 गाठों को बांधकर चढ़ाते हैं और बप्पा की विदाई के बाद इस धागे को साल भर अपनी कलाई पर भगवान गणेश का आशीर्वाद मानते हुए बांधे रहते हैं। लेकिन अनंत चौदस के दिन जब व्रत रखा जाता है। तब भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें। उनकी प्रतिमा या तस्वीर पर एक डोर में 14 गांठ बांधे और भगवान को चढ़ाएं। इस दौरान ओम अनंताय नमः मंत्र का जाप करें और अपनी मनोकामना को भगवान ले कहें।
अनंत चतुर्दशी 16 या 17 को
-अनंत चतुर्दशी तिथि की शुरूआत 16 सितंबर को दिन में 3 बजकर 11 मिनट पर दोपहर बाद होगी।
-वहीं, 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 45 मिनट पर चतुर्दशी तिथि समाप्त हो जाएगी। 
-शास्त्र विधान के अनुसार, उदय काल व्यापत तिथि माननी होती है। इसलिए अनंत चतुर्दशी का व्रत 17 सितंबर को सुबह रखा जाएगा। इसी दिन गणेशजी का विसर्जन भी किया जाएगा।
अनंत चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त
लाभ चौघड़िया सुबह 10 बजकर 43 मिनट से 12 बजकर 15 मिनट तक। इस अवधि में आप पूजा कर सकते हैं।
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

 
                                                                                                                                             
                                                                                                                                             
                                                                                                                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                            