जबलपुर के स्कूलों का फर्जीवाड़ा: अब माननीय न्यायालय करेगा फैसला, पूरी कार्रवाई पर अलग-अलग राय, अभिभावक भी अपना पक्ष रखने की तैयारी में
स्कूलों संचालकों पर हुई ताबड़तोड़ कार्रवाई ने समाज के हर वर्ग को हिला दिया है। सबकी अपनी-अपनी राय है और अपनी-अपनी जानकारी। पैरेंट्स की शिकायतें, उनकी जांच और गिरफ्तारी से होते हुये अब ये मामला माननीय न्यायालय की चौखट पर पहुंचता हुआ दिखाई दे रहा है।
 
                                    स्कूलों संचालकों पर हुई ताबड़तोड़ कार्रवाई ने समाज के हर वर्ग को हिला दिया है। सबकी अपनी-अपनी राय है और अपनी-अपनी जानकारी। पैरेंट्स की शिकायतें, उनकी जांच और गिरफ्तारी से होते हुये अब ये मामला माननीय न्यायालय की चौखट पर पहुंचता हुआ दिखाई दे रहा है। मामला दो पक्षों में बंट रहा है। कार्रवाई करने वाले अपने एक्शन को सही बता रहे हैं तो वहीं दूसरा पक्ष है,जो कार्रवाई को कानूनी तौर पर गलत सिद्ध करने में जुटा हुआ है। स्कूल फर्जीवाड़े में धारा 409 पर बहस का माहौल बना हुआ है। इधर, अभिभावकों ने भी तैयारी की है कि यदि ये प्रकरण माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत होगा तो वे भी अपनी बात रखेंगे।
जिन स्कूल संचालकों पर फर्जीवाड़े का आरोप है, उन पर धारा 420, 409, 468, 471 के तहत एफआइआर दर्ज की गयी है। बड़ी आपत्ति है कि धारा 409 क्यों लगाई गयी। धारा 409 असल में गबन के आरोपी पर कायम की जाती है। स्कूल संचालक गबन के आरोप को खारिज कर रहे हैं तो वहीं प्रशासन इस धारा के तहत की गयी कार्रवाई को बार-बार सही ठहरा रहा है। ये धारा गैरजमानती है। एक तरफ कानूनविद् कह रहे हैं कि धारा 409 इसलिए कायम की गयी,क्योंकि स्टूडेंट्स ही परिवार, देश और समाज की संपत्ति है, इस संपत्ति को स्कूलों को सौंपा गया, उन्हें फीस दी गयी। स्कूलों ने इस फीस के बदले बच्चों को नकली किताबों से पढ़ाया,जिससे संपत्ति यानी स्टूडेंट्स को नुकसान हुआ।यही आधार धारा 409 कायम करने का। तर्क प्रस्तुत किया जा रहा है कि अभिभावकों का विश्वास हनन किया गया इसलिए ये धारा एकदम सही कायम की गयी है।  इससे अलग राय रखने वाले कानून के जानकारों का है कि प्रशासन ने न केवल धाराएं गलत लगाईं है,बल्कि पूरी कार्रवाई ही कानून सम्मत नहीं हैं इसलिए माननीय न्यायालय के समक्ष सारे तथ्य रखे जाएंगे।
प्राचार्यों की कहानी का दर्द-
इस मामले में एक बात बड़े जोर से उठाई जा रही है कि आखिर जब सारे फैसले मैनेजमेंट करता है तो प्राचार्यों की गिरफ्तारी क्यों की गयी। एक तरह से ये बात सही भी है,क्योंकि प्राचार्य, प्रबंधन की नौकर है अन्य व्यवसायों की तरह उसे भी मालिक की हर बात पर हां कहना जरूरी है। इस मामले में प्राचार्यों के प्रति हर तरफ से सहानुभूति आ रही है,लेकिन कानूनी रूप से राहत मिलना अभी बाकी है। अनेक प्राचार्य ऐसे भी हैं,जिन्हें पता भी नहीं है कि फीस कब-कितनी बढ़ा दी गयी और किताबें भी नकली हैं। कई प्राचार्य सिर्फ इसलिए जेल में हैं, क्योंकि दस्तावेजों में इनके दस्तखत हैं। इधर,जानकार कहते हैं कि दस्तावेजों पर प्राचार्यों के दस्तखत ही मुसीबत का सबब बन गये। प्राचार्यों का तर्क है कि सारी काली कमाई मैनेजमेंट ने की और खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है।
अफसर अपनी कार्रवाई पर पुनर्विचार करें, राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने ट्वीट कर जताई अपनी आपत्ति
 
फीस और किताबों के फर्जीवाड़ से जुड़े प्रकरण में राज्य सभा सांसद विवेक कृष्ण तंखा ने ट्वीट कर कहा है कि जिला प्रशासन के अधिकारियों एवं प्रदेश सरकार को स्कूल प्राचार्यों पर की गयी कार्रवाई पर पुरर्विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्कूल स्टाफ के साथ प्राचार्य को जेल भेजना अच्छा नहीं है। इससे समाज में गलत संदेश जा रहा है और अपने शिक्षकों प्रति बच्चों की मानसिकता में भी बदलाव आएगा,जो भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं।
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

 
                                                                                                                                             
                                                                                                                                             
                                                                                                                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                            