कोटा में हर साल इतनी आत्महत्याएं आखिर क्यों? एससी ने राजस्थान सरकार को लगाई फटकार
कोटा एक ऐसा शहर जहां पर देश के तमाम शहरों से छात्र-छात्राएं अपनी आंखों में सपने लिए पहुंचते हैं।

कोटा एक ऐसा शहर जहां पर देश के तमाम शहरों से छात्र-छात्राएं अपनी आंखों में सपने लिए पहुंचते हैं। अपने घर परिवार से दूर रहकर सिर्फ अपने भविष्य को बेहतर बनाने की राह पर निकलते हैं, यहां कुछ बच्चों की मेहनत रंग लाती है और उन्हें सुनहरा भविष्य भी मिलता है, लेकिन कई बच्चे इस शहर के तनाव को झेल नहीं पाते और अपनी असफलताओं को ही अपनी किस्मत मानकर अपनी जिंदगी की लीला को समाप्त कर देते हैं। बच्चों की आत्महत्या की खबर जब अभिभावकों के कानों तक पहुंचती है, वे जीते जी मर जाते हैं। कोटा में हर साल छात्रओं की आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इन आंकड़ों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार से जवाब मांगा है कि आखिर इतनी आत्महत्याएं क्यों? इनकी रोकथाम के लिए सरकार ने क्या किया?
कोर्ट ने भजनलाल सरकार से इस मामले में जवाब तलब किया और एसआईटी के गठन की जानकारी ली। 23 मई को सुप्रीम कोर्ट में इस बार विचार विमर्श किया गया। साथ ही राजस्थान सरकार से फटकार लगाते हुए इस आत्महत्या के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए सरकार ने क्या सख्त कदम उठाए और इस आत्महत्याओं के पीछे क्या कारण है। इसकी जानकारी मांगी।
जस्टिस जेपी पारदीवाल और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इस साल अब तक कोटा में 14 आत्महत्या के मामले सामने आए हैं। जब कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि इन सुसाइड केस को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए। तभी राजस्थान सरकार के वकील ने जवाब पेश करते हुए कहा कि आत्महत्या के मामलों की जांच के लिए राज्य में एक विशेष एसआईटी की टीम का गठन किया है। वह अपने स्तर पर जांच कर रही है और आत्महत्या के पीछे के कारणों को जानने का प्रयास कर रही है।