हर साल जनवरी में मनाया जाता है दक्षिण भारत का विशेष पर्व पोंगल, 14 जनवरी से शुरू होकर 17 जनवरी तक मनाया जाएगा उत्सव
पोंगल दक्षिण भारत का एक प्रमुख त्योहार है, जो खासकर तमिलनाडु में धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार जनवरी महीने में सूर्य देव की पूजा और नई फसल के आगमन के रूप में मनाया जाता है।
 
                                    पोंगल दक्षिण भारत का एक प्रमुख त्योहार है, जो खासकर तमिलनाडु में धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार जनवरी महीने में सूर्य देव की पूजा और नई फसल के आगमन के रूप में मनाया जाता है। उत्तर भारत में मकर संक्रांति, पंजाब में लोहड़ी और गुजरात में उत्तरायण के समय पोंगल मनाया जाता है। पोंगल चार दिन चलने वाला त्योहार है, जो बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल पोंगल 14 जनवरी से शुरू होकर 17 जनवरी तक मनाया जाएगा। यह त्योहार तमिल संस्कृति और कृषि परंपराओं का प्रतीक है और इसे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
पोंगल के चार दिन-
- 14 जनवरी को भोगी पोंगल:इस दिन लोग पुराने सामान और अनुपयोगी वस्तुओं को जलाकर घर की सफाई करते हैं। यह दिन नकारात्मकता को दूर कर नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।
- 15 जनवरी को सूर्य पोंगल:इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है और खेतों में नई फसल के पकने के लिए पोंगल नामक मिठाई बनाई जाती है। यह दिन चार दिनों का सबसे महत्वपूर्ण होता है और धूमधाम से मनाया जाता है।
- 16 जनवरी को मट्टू पोंगल:इस दिन मवेशियों को सजाया जाता है, उनकी पूजा की जाती है और उन्हें विशेष भोजन दिया जाता है। यह दिन किसानों के लिए उनके पशुओं के महत्व को दर्शाता है।
- 17 जनवरी को कानूम पोंगल: पोंगल का आखिरी दिन कानूम पोंगल होता है, जब लोग अपने रिश्तेदारों से मिलते हैं और पिकनिक या सामाजिक समारोह आयोजित करते हैं। यह दिन परिवार और समुदाय के साथ समय बिताने का अवसर होता है।
कैसे मनाया जाता है पोंगल पर्व-
पोंगल के दौरान घरों को रंगोली से सजाया जाता है। नए चावल से बनी पोंगल डिश सूर्य देव को अर्पित की जाती है और खेतों में नई फसल काटकर उसका आभार प्रकट किया जाता है।
क्यों मनाया जाता है पोंगल-
पोंगल नई फसल और कृषि समृद्धि का प्रतीक है। यह किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जब वे अपनी कड़ी मेहनत का परिणाम प्राप्त करते हैं। इस दिन सूर्य देव, वर्षा और भूमि के प्रति आभार व्यक्त करने का मौका मिलता है, क्योंकि इन तत्वों के बिना फसल की सफलता संभव नहीं है। पोंगल परिवार के सदस्यों को एकजुट करने और आपसी प्रेम और सौहार्द को बढ़ावा देने का एक सुंदर अवसर है। मवेशियों को किसानों के महत्वपूर्ण सहायक माना जाता है, इसलिए मट्टू पोंगल के दिन उनकी पूजा की जाती है।
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

 
                                                                                                                                             
                                                                                                                                             
                                                                                                                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                            