एडवोकेट वासीद खान की जमानत अर्जी एचसी ने की खारिज, कहा देश में मुगल राज स्थापित करने की थी कोशिश 

हाईकोर्ट ने हाल ही में एक वकील की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी की यह देश में मुगल राज लाना चाहते थे और जमानत याचिका खारिज कर दी।

May 30, 2025 - 15:16
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एडवोकेट वासीद खान की जमानत अर्जी एचसी ने की खारिज, कहा देश में मुगल राज स्थापित करने की थी कोशिश 
HC rejects bail plea of ​​​​Advocate Wasid Khan says there was an attempt to establish Mughal rule in the country

हाईकोर्ट ने हाल ही में एक वकील की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी की यह देश में मुगल राज लाना चाहते थे और जमानत याचिका खारिज कर दी। एनआईए द्वारा गैरकानूनी गतिविधि अधिनियम के तहत गिरफ्तार किए गए वकील वासिद खान के पास से आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई थी। जो समाज में सांप्रदायिक सौहार्द्र को ठेस पहुंचाने से संबंधित थी। उनका मकसद मुगल शासन की स्थापना करना था। जिस तरह से अंग्रेजों ने मुगलों की मदद से भारत में अधिकार जमाया था। हाईकोर्ट की युगलपीठ ने यह भी कहा कि यूएपीए एक भारतीय कानून है। इसका उद्देश्य गैरकानूनी गतिविधियों पर रोक लगाना है। खासतौर से आतंकवादी गतिविधियों को। 

इन धाराओं में दर्ज हुआ मामला


भोपाल के रहने वाले वासिद खान के खिलाफ एनआईए ने कई धाराएं लगाते हुए मामला दर्ज किया था। इनमें भारतीय दंड संहिता की धारा 121-ए, 153-ए, 120-बी, 201 प्रमुख हैं। इनके साथ ही गैरकानूनी गतिविधियां(रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 13(1)(बी), 18, 18-ए, 18-बी भी लगाई गई थीं। एनआईए के विशेष न्यायाधीश ने 8 फरवरी 2025 को वासिद खान की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन अपील दायर की थी। 

वकील ने पेश की दलीलें


अपीलकर्ता के वकील ने कोर्ट में वासीद खान का पक्ष रखते हुए कहा कि वह मानवाधिकार संगठन के साथ स्वयंसेवक के रूप में काम करते हैं। वह कानूनी जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित करते हैं। वासिद खान ने ऐसा कोई काम नहीं किया है जो 1967 के अधिनियम की धारा 2(ओ) के तहत गैरकानूनी गतिविधियों की परिभाषा में आता है। उनके पास से जो भी सामग्री जब्त की गई उनका कोई सबूत मूल्य नहीं है। जब सामग्री को जब्त किया गया, तब वे जेल में थे।