डीजीपी कैलाश मकराना अपने एएसआई मित्र से अस्पताल में मिलने पहुंचे, बचपन की दोस्ती बनी मिसाल

मध्यप्रदेश के डीजीपी कैलाश मकवाना न सिर्फ अपने बेहतर काम से जाने जाते हैं, बल्कि इस बार वे अपनी दोस्ती भी बखूबी निभाते नजर आए। हाल ही में डीजीपी अपने बचपन के दोस्त एएसआई सुरेश शाक्य का हाल जानने के लिए अस्पताल पहुंचे।

Jul 1, 2025 - 14:56
 11
डीजीपी कैलाश मकराना अपने एएसआई मित्र से अस्पताल में मिलने पहुंचे, बचपन की दोस्ती बनी मिसाल
DGP Kailash Makrana reached the hospital to meet his ASI friend childhood friendship became an example
मध्यप्रदेश के डीजीपी कैलाश मकवाना न सिर्फ अपने बेहतर काम से जाने जाते हैं, बल्कि इस बार वे अपनी दोस्ती भी बखूबी निभाते नजर आए। हाल ही में डीजीपी अपने बचपन के दोस्त एएसआई सुरेश शाक्य का हाल जानने के लिए अस्पताल पहुंचे। आपको बता दें कि एएसआई सुरेश शाक्य उर्फ हनुमान कैलाश मकराना के साथ स्कूल में पढ़ते थे। जैसे ही उन्हें उनके खराब स्वास्थ्य के बारे में जानकारी मिली, तो वे उनसे मिलने पहुंच गए। एक दोस्त के लिए ये बेहद ही खास प रहा। जिसमें भले ही उनका पद दोस्त के पद से कम रहा हो, लेकिन इन सभी बातों को दरकिनार कर डीजीपी ने अपनी दोस्ती को तवज्जों दी और दोस्त के बेहतर स्वास्थ्य की कामना भी की। साथ ही कहा कि पूरा पुलिस परिवार उनके साथ खड़ा है। 

 

स्कूल में साथ पढ़ते थे एएसआई और डीजीपी 

डीजीपी कैलाश मकराना ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट साझा कर बताया कि उज्जैन में पदस्थ एएसाई सुरेश शाक्य उर्फ हनुमान उनके साथ स्कूल में पढ़े हैं। इन दिनों उनके सिर में गंभीर चोट लगी है। सर्जरी हुई है और स्थिति चितांजनक है। ऐसे में उन्होंने न सिर्फ उनसे मिलकर हालचाल जाना, बल्कि बाबा महाकाल से उनके बेहतर स्वास्थ्य की कामना भी की। उन्होंने बताया कि सुरेश उनके बचपन के दोस्त हैं। 
 

सोशल मीडिया पर मिल रही सराहना

 
डीजीपी कैलाश मकवाना की तस्वीरें इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं। उनकी सादगी और व्यवहारिकता की लोग जमकर तारीफ कर रहे हैं। कई यूजर्स ने कमेंट करते हुए लिखा कि "पद से बढ़कर होती है दोस्ती"। पुलिस विभाग के मुखिया होने के बावजूद वे अपने एक जूनियर अधिकारी और पुराने दोस्त से मिलने खुद जा पहुंचे। कैलाश मकवाना इससे पहले भी ऐसे कई उदाहरण पेश कर चुके हैं।
 
उल्लेखनीय है कि डीजीपी बनने के बाद से ही उन्होंने कई प्रशंसनीय फैसले लिए हैं। लंबे समय से एक ही जगह तैनात पुलिसकर्मियों के थोक में तबादले उन्होंने करवाए हैं, जो हर जिले में किए गए हैं। इसके अलावा वे डिपार्टमेंट में अच्छा काम करने वालों की समय-समय पर खुले दिल से प्रशंसा भी करते रहते हैं।