बांग्लादेश में बदल गई करेंसी, जारी हुए नए नोट, जानिए कैसे दिखते है नए नोट
भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश से एक बड़ी खबर सामने आई है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने देश की करेंसी में बदलाव किया है और नई करेंसी नोट जारी किये है।

- तीन वर्गों में जारी हुए नोट,
- अभी भी चलन में रहेंगे शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर वाले पुराने नोट और सिक्के
भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश से एक बड़ी खबर सामने आई है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने देश की करेंसी में बदलाव किया है और नई करेंसी नोट जारी किये है। सरकार ने संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर बांग्लादेश के नोट से हटा दी है। इस नए मुद्रा बदलाव को बांग्लादेश में एक ऐतिहासिक मोड़ माना जा रहा है, जो केवल आर्थिक नहीं बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी खासा महत्व रखता है।
जानकारी के अनुसार, नए करेंसी नोट रविवार 1 जून 2025 को तीन मूल्य वर्गों 1,000 टका, 50 टका और 20 टका में जारी किए गए। हालांकि रहमान की तस्वीर वाले पुराने नोट और सिक्के अभी चलन में रहेंगे।
नई करेंसी का नया रूप-
इतिहास में यह पहला बार है कि बांग्लादेशी करेंसी में किसी भी व्यक्ति की तस्वीर नहीं होगी। सरकार की नई नीति के तहत अब करेंसी नोटों पर मानव आकृति नहीं होगी। इसकी जगह अब नोटों पर बांग्लादेश की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाने वाले प्राकृतिक दृश्य और ऐतिहासिक स्थल नजर आएंगे।
नई करेंसी नोटों में होगी यह तस्वीरें-
इन नई करेंसी नोटों में हिंदू और बौद्ध मंदिरों की तस्वीरें, जैनुल आबेदीन की कलाकृतियां, और राष्ट्रीय शहीद स्मारक को शामिल किया गया है। यह बदलाव देश की विविध सांस्कृतिक पहचान को उजागर करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
शेख मुजीबुर रहमान बंगबंधु के नाम से मशहूर–
शेख मुजीबुर रहमान को बंगबंधु के नाम से भी जाना जाता है। वे बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति और स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता थे। वे बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता थे। हाल के महीनों में बांग्लादेश में हुए प्रदर्शनों के दौरान बंगबंधु के घर में तोड़फोड़ की गई थी और आगजनी की घटनाएं भी सामने आई थीं। उनकी तस्वीरों और भित्तिचित्रों को भी प्रदर्शनकारियों ने नुकसान पहुंचाया था।
शेख हसीना की भारत में मौजूदगी-
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पिछले साल से भारत में रह रही हैं। छात्रों के नेतृत्व में शुरू हुए व्यापक विरोध प्रदर्शनों के चलते उन्हें देश छोड़ना पड़ा था। इन आंदोलनों ने उनकी पार्टी अवामी लीग की 16 साल पुरानी सत्ता भी ख़त्म हो गई थी।
मुजीबुर रहमान की हत्या
एक सैन्य विद्रोह के दौरान शेख मुजीबुर रहमान और उनके अधिकांश परिवार की हत्या कर दी गई थी। उस समय उनकी बेटी शेख हसीना जर्मनी में थीं। आज भी शेख मुजीबुर रहमान को देश के स्वतंत्रता संग्राम के नायक के रूप में याद किया जाता है।