खेल, खिलाड़ी और मैदान पर डर्टी पॉलिटिक्स
भारतीय महिला पहलवान के साथ पेरिस में जो कुछ हुआ वह भारत जैसे महान गणराज्य उपमहाद्वीप के लिए अपमान से कम नहीं था। हमारा वजूद अनेक विवादास्पद देशों से अलग है। दुनिया भर में भारतीय खेल व खिलाड़ियों को सम्मान मिलता है।
 
                                    रवीन्द्र दुबे
भारतीय महिला पहलवान के साथ पेरिस में जो कुछ हुआ वह भारत जैसे महान गणराज्य उपमहाद्वीप के लिए अपमान से कम नहीं था। हमारा वजूद अनेक विवादास्पद देशों से अलग है। दुनिया भर में भारतीय खेल व खिलाड़ियों को सम्मान मिलता है। सब जानते हैं भारत तीसरी ताकत बन रहा है। हम बाजारवादी दुनिया में सर्वो'च स्थान रखते हैं। जिसकी मुख्य वजह ग्राहक संख्या और परचेसिंग पॉवर है।
इस सब के बावजूद दुनिया को ताकत दिखाने में एकजुटता का अभाव पेरिस में दिखा। आश्चर्य तो तब हुआ जब सत्ताधारी दल के सांसद विनेश फोगाट विवाद पर निजी टिप्पणी कर रहे थे। वे पत्रकार जो अपने सोशल मीडिया एकाउंट में राष्ट्र प्रथम, राष्ट्र सर्वोपरि का झंडा उठाते हैं वे खबरों को अलग दिशा में ले जाने लगे। निजी स्टॉफ, वजन न घटा पाने के कारण और इसमें अजूबा क्या है बताने लगे। ऐसे तमाम लोगों को विनेश एक आंदोलनकारी नजर आ रही थी।
 कांग्रेस सरकार के दौर में ही खेल संगठनों में दलगत राजनीति का पदार्पण हुआ। खेल संघ में नेताओं का कब्ज़ा हो गया। परिवारवाद भी दिखने लगा। भाजपा और राष्ट्र सर्वोपरि से संबंधित संगठन कांग्रेस की आलोचना करते थे। ज़ब सत्ता भाजपा के हाथ आई तो खेल संगठनों की राजनीति भाजपा-कांग्रेस में बदल गई। राजनीतिक नियुक्ति आरएसएस यानी संघ की पोशाक पहने लोगों को दी जाने लगी। वे विदेश यात्राएं करने लगे। खेल संघ के पैसों से वैसी ही मौज होने लगी जो कांग्रेस के दौर में थी। यह अवश्य हुआ तब मीडिया सवाल करता था, जनता को जागृत करता था, वह अब मौन है। 
आज खेल संघ के ज्यादातर पदाधिकारी राष्ट्र सर्वोपरि राष्ट्र प्रथम वाले हैं। विनेश फोगाट की लगातार जीत से हतप्रभ थे, जब पहली बार अयोग्य होने की पुष्टि हुई तो कुछ पदाधिकारी प्रसन्न होकर जानकारी सार्वजनिक कर रहे थे वे अंदर से असीमित प्रसन्न थे। कुछ पत्रकारों ने अपनी रिपोर्ट में अस्पष्ट उल्लेख भी किया है। उनके लिए वह विनेश फोगाट थी जो आंदोलनकारी थी....देश का मैडल लाने वाली पहलवान नहीं। राष्ट्र सर्वोपरि मानने वालों के उस चेहरे को उजागर किया जो उनके अंदर का चेहरा है। जिनके लिए देश से बड़ा कथित विचार है। 
दूसरी जीत के बाद निकले लिबरल-
82 मैच खेलकर न हारने वाली को पहला और विश्व विजेता ओलम्पियन को दूसरा मैच हराते ही लिबरल निकल पड़े। मिम्स आ गए, यूट्यूबर ज्ञान देने लगे। सोशल मीडिया पत्रकार पहलवान विनेश फोगाट का महिमामंडन करने लगे। उसकी तारीफों के पुल बांध दिए। ब्रजभूषण सिंह को कटघरे में खड़ा किया गया। कहीं न कहीं मोदी सरकार पर भी पक्षपात करने के आरोप सोशल मीडिया पर लगाए गए। जैसे वे इसी इंतजार में थे।
क्या यह सही था-
नहीं, दोनों पक्ष की करतूत बयानबाजी बिल्कुल गलत थी है। यहीं से बात बिगड़ी...। देश के भीतर खेल में विचाधारा आ गई। देशप्रेम, राष्ट्र सर्वोपरि या राष्ट्र प्रथम को तिजोरी में बंद कर दिया गया। लिबरल तो आज भी विनेश के आंदोलनकारी चेहरे को लेकर चल रहे हैं। यह देश के खेल जगत में स्वीकार नहीं होना चाहिए।
केंद्र सरकार जागी-
अब केंद्र सरकार सही दिशा में चल रही है। सरकार की आपत्ति का नतीजा है कि पेरिस में ओलम्पिक संघ इतनी गंभीरता से सुन रहा है। सब जानते हैं विनेश को नियमों के तहत अयोग्य घोषित किया है। यह अपराध कि श्रेणी में नहीं आता है। यदि विनेश को संयुक्त पदक मिलता है तो यह फैसला नजीर बनेगा और आने वाले सभी ओलम्पिक में इस तरह के मामलों में संयुक्त पदक विजेता घोषित होने लगेगा।
क्रमश:- 2....पढ़ते रहिए....
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

 
                                                                                                                                             
                                                                                                                                             
                                                                                                                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                            