पति के आत्महत्या मामले में पत्नी को राहत
पति के आत्महत्या करने के मामले में पत्नी को हाईकोर्ट से राहत मिली है। जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने पत्नी के खिलाफ दर्ज आत्महत्या के लिए उकसाने के आपराधिक प्रकरण को खारिज करने के आदेश जारी किये है।
 
                                    हाईकोर्ट ने दिये एफआईआर खारिज करने के आदेश
पति के आत्महत्या करने के मामले में पत्नी को हाईकोर्ट से राहत मिली है। जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने पत्नी के खिलाफ दर्ज आत्महत्या के लिए उकसाने के आपराधिक प्रकरण को खारिज करने के आदेश जारी किये है। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा गया है कि सरकारी अधिवक्ता तथा शिकायतकर्ता के अधिवक्ता यह साबित नहीं कर पाये है कि मामले में याचिकाकर्ता के खिलाफ धारा 306 का अपराध कैसे बनता है।
याचिकाकर्ता निशा साकेत की तरफ से दायर की गयी आपराधिक पुनर्विचार याचिका में कहा गया था कि उसकी शादी साल अप्रैल 2016 में प्रीतम साकेत से हुई थी। उसके पति को पिता की मौत होने के कारण पॉली प्रोजेक्ट में अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। उसके पति ने जुलाई 2021 में आत्महत्या कर ली थी। पुलिस ने अनावेदक सास की शिकायत पर धारा 306 के तहत उसके खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था। जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई के दौरान पाया कि उसके खिलाफ जिला न्यायालय में आरोप तय हो गये है। हाईकोर्ट ने संबंधित न्यायालय के समक्ष पक्ष प्रस्तुत करने के आदेश जारी किये थे। जिसके कारण उक्त पुनर्विचार याचिका दायर की गयी है।
 एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई के दौरान पाया कि याचिकाकर्ता पर आरोप है कि वह समय पर खाना नही बनाती थी। जिसके कारण उसके पति को भूखे ड्यूटी पर जाना पडता था। पति के जाने के बाद वह बच्चों को पड़ोसियों के पास छोड़कर बाजार चली जाती थी। क्राइम पेट्रोल सीरियल देखती थी और विरोध करने पर पति से लड़ती थी। अपने बडे भाई की शादी में याचिकाकर्ता नाच रही थी। पति ने विरोध किया तो वह लडने लगी। जिसके बाद पति अपने बच्चों के साथ पाली लौट आया था और फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
 एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि ऐसे विवाद आमतौर पर हर घर में होते है। धारा 306 के अपराध में आत्महत्या के लिए उकसाने के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कृत्यों का सबूत होना चाहिए। षिकायतर्का तथा सरकारी अधिवक्ता मामले में यह साबित नही कर पाये जिसे आत्महत्या के उकसाने का अनुमान लगाया जा सकता है। एकलपीठ ने जिला न्यायालय द्वारा तय किये गये आरोप तथा एफआईआर को निरस्त करने के आदेश जारी किये है                        
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

 
                                                                                                                                             
                                                                                                                                             
                                                                                                                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                            