जबलपुर लोकसभा चुनाव: 1952 से अब तक
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जबलपुर लोकसभा क्षेत्र के इतिहास को खंगाले तो पता चलता है कि जबलपुर के वोटर देश की सियासी हवा को बखूबी पहचानते हैं और उसी के साथ रहते हैं।
वक़्त के साथ पलटता रहा जबलपुर का वोट 
कांग्रेस को जिताया और हराया भी, भाजपा को भी दिया प्यार
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जबलपुर लोकसभा क्षेत्र के इतिहास को खंगाले तो पता चलता है कि जबलपुर के वोटर देश की सियासी हवा को बखूबी पहचानते हैं और उसी के साथ रहते हैं। आजादी के बाद कांग्रेस को सर माथे बिठाने वाली जबलपुर की जनता ने वक्त आने पर जेपी आंदोलन का साथ देते हुए एकदम नौजवान शरद यादव पर सहज ही यकीन किया और शरद को लोकसभा पहुंचाया। यहीं से शरद के देश के बड़े नेता बनने की राह खुली। लोकप्रिय इंदिरा गांधी के आपातकाल के फैसले के खिलाफ जब पूरा देश एकजुट था तब जबलपुर के वोटर ने भी जबलपुर में कांग्रेस को नकार दिया था। ताजा चुनाव में भाजपा से आशीष दुबे व कांग्रेस से दिनेश यादव मैदान में हैं।
1952 की तस्वीर क्या थी-
1952 में पहली लोकसभा की स्थापना के समय जबलपुर में दो संसदीय सीटें थीं। सुशील कुमार पटेरिया ने जबलपुर उत्तर सीट हासिल की, जबकि मंगरु गणु उइके ने सांसद के रूप में जबलपुर दक्षिण-मंडला का प्रतिनिधित्व किया था। वहीं, मध्यप्रदेश के गठन के बाद जबलपुर लोकसभा सीट पर पहले चुनाव 1957 में हुए थे। जहां कांग्रेस के सेठ गोविंद दास ने जीत हासिल की थी। बता दें कि सेठ गोविंद दास की गिनती एमपी के कद्दावर नेताओं में होती है। उन्होंने 1971 तक लगातार चार बार जबलपुर से सांसद का चुनाव जीता था।
ऐसे चमके नौजवान शरद यादव-
 
1974 में, सांसद सेठ गोविंद दास के निधन के बाद जबलपुर में उपचुनाव होना था। उस समय में देश में जेपी आंदोलन अपने चरम पर था। ऐसे में जयप्रकाश नारायण ने 27 साल के शरद यादव को टिकट दिया। भारतीय लोकदल के टिकट से चुनाव लड़ते शरद यादव ने उपचुनाव में जीत हासिल की। खास बात ये थी कि जेल में रहते हुए भी उन्होंने उपचुनाव जीता था। जब 1977 में आपातकाल हटने के बाद देश में चुनाव हुए तो ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस की करारी हार हुई। यहां पर भी यही हाल हुआ। जनता पार्टी के टिकट पर शरद यादव ने दूसरी बार जीत हासिल की। हालांकि, 1980 के चुनावों में, कांग्रेस ने जबलपुर में वापसी की और मुंदर शर्मा चुनाव जीते। वहीं 1982 में जबलपुर में एक बार फिर उपचुनाव हुए। जहां भाजपा के बाबूराव परांजपे ने सीट पर जीत हासिल की। फिर इसके बाद के कुछ चुनावों में भाजपा-कांग्रेस को बारी-बारी जीत मिली। 1984 में कांग्रेस, 1989 में बीजेपी और 1991 में कांग्रेस के श्रवण कुमार पटेल की जीत हुई। 1974 में जबलपुर लोकसभा सीट खाली हो गई, जिसे सेठ गोविंद दास लगातार चार बार जीत चुके थे। कांग्रेस ने दास के पोते रवि मोहन को उम्मीदवार बनाया, जो एक इंजीनियर थे। विपक्ष ने शरद यादव को उम्मीदवार बनाया, जो जबलपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष रह चुके थे।खास बात यह है कि मशहूर अभिनेता शरत सक्सेना, जो जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में शरद यादव और रवि मोहन के जूनियर थे।उन्होंने रवि मोहन के लिए प्रचार किया था।
आज भी याद है वो नारा-
 
चुनाव आपातकाल से ठीक पहले हुआ था, जब कांग्रेस और इंदिरा गांधी अलोकप्रिय हो रहे थे। यादव ने जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में चल रहे छात्र आंदोलन का समर्थन किया था और उन्हें जेल में डाल दिया गया था। जेल में रहते हुए, वो समाजवादी विचारों से प्रभावित हुए और जेपी आंदोलन में शामिल हो गए।
चुनाव ज़ोर-शोर से लड़ा गया। यादव ने 'लल्लू को न जगधर को, मुहर लगेगी हलधर को' का नारा दिया, जो लोगों के बीच लोकप्रिय हुआ। जहां शरद यादव की जीत हुई।यह जीत कांग्रेस के लिए एक झटका थी और इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ बढ़ते विरोध का प्रतीक थी। शरद यादव ने 1977 का लोकसभा चुनाव भी जबलपुर से लड़ा और जीत हासिल की।
फिर हुआ बीजेपी का उदय-
1996 में बीजेपी की यहां पर जीत हुई। खास बात ये है कि 1996 से जबलपुर सीट बीजेपी का मजबूत किला बन गई है।1996 के बाद से इस सीट पर लोकसभा के सभी चुनाव बीजेपी ने ही जीते हैं। 1996 और 1998 के चुनावों में, भाजपा के बाबूराव परांजपे को जनता ने चुना। 1999 में बीजेपी की जयश्री बनर्जी ने कांग्रेस के चंद्रमोहन को हराया। वहीं, 2003 में, भाजपा के राकेश सिंह ने जीत हासिल की। बता दें कि उन्होंने लगातार 4 बार सांसद के चुनाव जीते। खास बात यह है कि अब वह विधायक हैं और मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री भी हैं ।
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

 
                         
                         
                         
                                                                                                                                             
                                                                                                                                             
                                                                                                                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                            