जबलपुर लोकसभा से कांग्रेस उम्मीदवार दिनेश यादव ने भरी हूंकार...लड़ेंगे...डटकर लड़ेंगे और जीतेंगे
राजनीतिक रूप से विपरीत परिस्थितियों से गुजर रही कांग्रेस पार्टी के जबलपुर लोकसभा प्रत्याशी दिनेश यादव की ये हुंकार कि यदि युद्ध है तो युद्व लड़ेंगे, कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं के लिये संजीवनी जैसी है।
 
                                    राजनीतिक रूप से विपरीत परिस्थितियों से गुजर रही कांग्रेस पार्टी के जबलपुर लोकसभा प्रत्याशी दिनेश यादव की ये हुंकार कि यदि युद्ध है तो युद्व लड़ेंगे, कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं के लिये संजीवनी जैसी है।
जबलपुर लोकसभा क्षेत्र से जब दिग्गज नेताओं ने चुनाव मैदान में उतरने से किनारा कर लिया तब दिनेश यादव ने पार्टी के लिए जो जज्बा और समर्पण दिखाया है, उसकी गूंज हर तरफ है। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में भी उत्साह है। आने वाले चंद दिनों में ही कांग्रेस पूरी ताकत से प्रचार में उतरेगी। भाजपा की एकतरफा जीत अब आसान नहीं होगी। कांग्रेस प्रत्याशी दिनेश यादव का सबसे बड़ा प्लस पॉइंट है कि वे संगठन में जमीन तक जुड़े हुए हैं और उनको पूरा पता है कि जीतने वाली रणनीति क्या होनी चाहिए। माइनस पॉइंट की बात करें तो अव्वल तो संगठन के उस ढाँचे का अभाव है, जो चुनाव जिताने के लिये अनिवार्य होता है। इसके अलावा साधन-संसाधनों की कमी भी बड़ा इश्यू है।
-शरद यादव के बाद दिनेश यादव
जबलपुर लोकसभा के इतिहास में अब तक दिनेश दूसरे यादव प्रत्याशी हैं। इनसे पहले, शरद यादव जबलपुर लोकसभा के सांसद रह चुके हैं। दिनेश की जीत इतिहास दोहरा सकती है। हालांकि, जानकार मानते हैं कि उस वक्त के सियासी हालात अब से बहुत जुदा थे।
-सबने कहा, पूरी शिद्दत से डटे रहेंगे
दिनेश यादव के नाम के घोषणा होते ही उनके घर में बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। कार्यकर्ताओं ने फूल माला पहना कर स्वागत किया और बधाई दी। दोनों दलों के प्रत्याशी की घोषणा होने के बाद कहा जा रहा है की दशकों के बाद ये पहली बार होगा कि भाजपा-कांग्रेस दोनों के चेहरे लोकसभा चुनाव पहली बार लड़ने वाले होंगे। इस दफा भाजपाई चार सौ पार के नारे को लेकर चर्चा में हैं और कांग्रेस को आम जन चुनावी दृष्टि से मुश्किल में मान रहे हैं। ऐसे में शहर के लोकसभा महासंग्राम में चुनावी पंडित और सियासी धुरंधरों की भी नजरें होंगी. भाजपा प्रत्याशी आशीष दुबे संगठन और पीएम मोदी के चेहरे की गारंटी के साथ प्रचार कर रहे हैं।
-तीन दशक का सियासी सफर
दिनेश यादव जबलपुर में कांग्रेस की राजनीति में बीते तीन दशक से सक्रिय हैं. वह जबलपुर नगर निगम लंबे समय तक पार्षद रहे, नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष रहे और वे जबलपुर में एक बार महापौर पद के लिए भी प्रत्याशी रह चुके हैं। हालांकि उस चुनाव में दिनेश यादव को हार का सामना करना पड़ा था।उन्हें भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी प्रभात साहू से हार मिली थी। इसके बाद दिनेश यादव लंबे समय तक जबलपुर में नगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे और वे राजनीति में हमेशा ही सक्रिय रहे हैं। दिनेश यादव के नाम को जबलपुर के कांग्रेस के एकमात्र विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री लखन घनघोरिया ने भी आगे बढ़ाया था।
-खरीद लिया था नामांकन फॉर्म
दिनेश यादव को इस बात की जानकारी दो दिन पहले ही दे दी गयी थी कि उनके नाम पर ही मोहर लगेगी। इसलिए उन्होंने शनिवार ही नामांकन पत्र खरीद लिया था. दिनेश यादव जबलपुर के पुराने बाजार निवाड गंज में रहते हैं और इसी वार्ड से भी लंबे समय तक नगर निगम में पार्षद भी रहे। अभी भी उनके बेटे ही इस वार्ड से पार्षद हैं। अभी तक लग रहा था कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को वॉक ओवर देने की स्थिति में आ गई थी, लेकिन कांग्रेस कमेटी ने दिनेश यादव को उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है।
अरसे बाद कांग्रेस को मिला आंदोलन वाला नगर अध्यक्ष-
भले देर से ही सही पर कांग्रेस पार्टी ने जबलपुर को बड़े दिनों बाद युवा और ऊर्जावान अध्यक्ष के रूप में सौरव शर्मा दिया है। सौरव की नियुक्ति कहीं न कहीं दिनेश यादव के चुनाव में फायदेमंद साबित होगी। सौरव सीधे जनता से जुड़े हैं। आंदोलन उनकी राजनीति का मुख्य हिस्सा है। श्री शर्मा को अध्यक्ष बनाये जाते ही कांग्रेस के युवा कार्यकर्ताओं में असीम उत्साह दिखाई दिया। लोकसभा प्रत्याशी दिनेश यादव और नव नियुक्त नगर अध्यक्ष सौरभ शर्मा के बीच सोच, विचारधारा और कार्यशैली में बेहतरीन तालमेल की खबरें कांग्रेस के लिये शुभ संकेत हैं। जिसका असर लोकसभा चुनाव के नतीजों पर दिखेगा। इसके अलावा श्री शर्मा बड़े नेताओं और छोटे कार्यकर्ता से भी बराबर संवाद बरकरार रखते हैं। नए अध्यक्ष कमोबेश हर गुट के साथ एडजेस्ट हो जाते हैं। ये सब नगर कांग्रेस के लिये फायदेमंद साबित होगा।वहीं जबलपुर के युवा कांग्रेसियों के बीच उनकी लोकप्रीयता किसी से छिपी नहीं है। सौरभ वरिष्ठ कांग्रेस के अनुभव और युवा कांग्रेसजनों के जोश को साथ लेकर कांग्रेस को जबलपुर में नई जान डालने में सक्षम हो सकते हैं।
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

 
                                                                                                                                             
                                                                                                                                             
                                                                                                                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                            