सीएम हाउस में वैदिक घड़ी का अनावरण, अब सूर्योदय से मानी जाएगी दिन की शुरुआत: सीएम मोहन यादव
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भोपाल स्थित सीएम हाउस में विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का अनावरण किया है। यह विशेष घड़ी दिन की शुरुआत सूर्योदय से और समापन सूर्यास्त पर मानते हुए समय की गणना करेगी।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भोपाल स्थित सीएम हाउस में विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का अनावरण किया है। यह विशेष घड़ी दिन की शुरुआत सूर्योदय से और समापन सूर्यास्त पर मानते हुए समय की गणना करेगी। इस अवसर पर वैदिक घड़ी से जुड़ा एक मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया गया। कार्यक्रम में कई मंत्री, विधायक और गणमान्य अतिथि शामिल हुए।
अब भोपाल में भी दिखेगी वैदिक समय गणना
उज्जैन के बाद अब भोपाल स्थित मुख्यमंत्री निवास के मुख्य द्वार पर भी यह वैदिक घड़ी लगाई गई है। इस घड़ी की खास बात यह है कि यह पारंपरिक वैदिक काल गणना पर आधारित है। इस घड़ी के माध्यम से भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा और वैज्ञानिक सोच को दुनिया के सामने रखा जाएगा।
रात 12 बजे दिन बदलने की परंपरा को बताया अव्यवहारिक
घड़ी का अनावरण करते हुए सीएम मोहन यादव ने कहा कि दिन की गणना सूर्योदय से होनी चाहिए, न कि रात 12 बजे से। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में तिथियां, ऋतुएं और पर्व-त्योहार अंग्रेजी तारीखों के अनुसार नहीं, बल्कि वैदिक गणना के अनुसार तय होते हैं। इसीलिए समय की सही गणना भी उसी परंपरा से होनी चाहिए।
सनातन संस्कृति की धरोहर है वैदिक घड़ी
मुख्यमंत्री ने बताया कि वैदिक काल में 60 सेकंड वाला मिनट नहीं था, बल्कि समय को 30 मुहूर्तों में विभाजित किया जाता था। यह परंपरा सिर्फ सांस्कृतिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक सोच पर आधारित है। उन्होंने इसे सनातन संस्कृति की एक अमूल्य धरोहर और विचार का विषय बताया।
भारत का खगोल विज्ञान में ऐतिहासिक योगदान
सीएम ने बताया कि भारत के खगोल विज्ञान की जड़ें उज्जैन से जुड़ी हैं, जिसे समय गणना का केंद्रीय बिंदु माना गया है। समय के साथ यह बिंदु 32 किलोमीटर दूर डोंगला तक खिसक गया। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने भी नारायणा गांव में समय मापन का केंद्र तलाशा था, जिसमें बलराम और सुदामा भी उनके साथ थे।
वैदिक गणना से मिलती है सटीक जानकारी
उन्होंने यह भी कहा कि वैदिक काल गणना इतनी सटीक है कि वह हजारों साल पहले के सूर्यग्रहण या चंद्रग्रहण की भी सही जानकारी दे सकती है, जो आज के आधुनिक कंप्यूटर भी नहीं कर पाते। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि सावन में छाता लेकर चलने की परंपरा भी इसी वैज्ञानिक गणना की देन है।
भारत की अच्छाइयों को दुनिया के सामने लाने का समय
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रह, नक्षत्र और तिथियों के आधार पर जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते थे। उन्होंने यह भी बताया कि विधानसभा में भी वैदिक परंपराओं को शामिल करने की पहल की गई है। उनका मानना है कि पश्चिमी समय प्रणाली अब पुरानी हो चुकी है और भारत की परंपराएं वैश्विक मंच पर स्थापित होने के लिए तैयार हैं।