महिला यौनकर्मियों पर एमपी पुलिस का बड़ा फैसला, नहीं होगी गिरफ्तारी
मध्य प्रदेश पुलिस ने अपने अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा है कि होटल या ढाबों पर छापेमारी के दौरान पकड़ी गई यौनकर्मियों के खिलाफ कोई मामला दर्ज न किया जाए।

मध्य प्रदेश पुलिस ने अपने अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा है कि होटल या ढाबों पर छापेमारी के दौरान पकड़ी गई यौनकर्मियों के खिलाफ कोई मामला दर्ज न किया जाए। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को जानकारी दी कि यह निर्देश 3 अप्रैल को जारी किया गया था। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि भले ही वेश्यालय चलाना कानूनन अपराध है, लेकिन इसमें शामिल यौनकर्मियों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट भी पहले ही एक अहम फैसला दे चुका है।
मध्यप्रदेश पुलिस मुख्यालय की महिला सुरक्षा शाखा द्वारा जारी आदेश में भोपाल और इंदौर के पुलिस आयुक्तों, सभी जिला पुलिस अधीक्षकों (एसपी) और रेलवे पुलिस को निर्देशित किया गया है। आदेश में बताया गया है कि होटल और ढाबों में संचालित वेश्यालयों पर छापेमारी के दौरान पुलिस ने कई महिलाओं को हिरासत में लिया और उनके खिलाफ अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम (PITA) के तहत केस दर्ज किए गए।
आदेश में स्पष्ट किया गया है कि यौनकर्मियों के साथ पीड़ितों की तरह व्यवहार किया जाना चाहिए, इस संबंध में पहले भी निर्देश दिए जा चुके हैं। इसमें कहा गया है कि केवल वेश्यालय संचालित करना ही कानून के खिलाफ है, लेकिन इसमें शामिल महिलाओं को न तो गिरफ्तार किया जाए, न दंडित किया जाए और न ही परेशान किया जाए।
साथ ही यह भी निर्देश दिए गए हैं कि अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956 के तहत कार्रवाई करते समय इन दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाए। आदेश में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला भी दिया गया है—क्रिमिनल अपील संख्या 135/2010, बुद्धदेव कर्मास्कर बनाम पश्चिम बंगाल राज्य एवं अन्य—जिसमें कोर्ट ने कहा था कि यदि कोई महिला स्वेच्छा से यौन कार्य कर रही है, तो वह अवैध नहीं माना जाएगा, भले ही दबिश वेश्यालय पर क्यों न हो।