36 साल बाद मिला न्याय, 23 कलेक्टर मिलकर भरेंगे 43.90 लाख का हर्जाना
एमपी हाईकोर्ट ने मुआवजा राशि के एक मामले में पीड़ित को बड़ी राहत प्रदान की है। मुआवजा राशि वसूलने के लिए हाईकोर्ट ने वर्ष 1988 से अब तक जबलपुर कलेक्टर के पद पर पदस्थ रहे सभी कलेक्टरों से उसकी भरपाई किए जाने का फरमान जारी किया है।
 
                                    मुआवजा राशि के मामले में एमपी हाईकोर्ट का एतेहासिक फैसला
द त्रिकाल डेस्क, जबलपुर।
एमपी हाईकोर्ट ने मुआवजा राशि के एक मामले में पीड़ित को बड़ी राहत प्रदान की है। मुआवजा राशि वसूलने के लिए हाईकोर्ट ने वर्ष 1988 से अब तक जबलपुर कलेक्टर के पद पर पदस्थ रहे सभी कलेक्टरों से उसकी भरपाई किए जाने का फरमान जारी किया है। हाईकोर्ट के इस आदेश का अमल भी जल्द देखने को मिलेगा। इस लिहाज से फरवरी 1988 से लेकर अक्टूबर 2024 तक जबलपुर में पदस्थ 23 कलेक्टरों से तकरीबन 439 माह के 43,90,000 रुपए वसूले जाएंगे। हर्जाने के तौर पर सबसे ज्यादा राशि संजय दुबे को चुकाना होगी। वे सबसे ज्यादा 37 माह जबलपुर में पदस्थ रहे।
हाईकोर्ट जस्टिस गुरुपाल सिंह अहलूवालिया की कोर्ट से ये ऐतिहासिक आदेश पारित किया गया है। जबलपुर निवासी शशि पांडे ने याचिका दायर कर बताया कि उनकी आधारताल बायपास से लगी 29 हजार 150 वर्गफुट जमीन सन 1988 में सरकार ने ले ली। इस जमीन के बदले मुआवजा नहीं दिया गया और इतने सालों में अधिग्रहण की कार्रवाई भी नहीं की गई। याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को याचिकाकर्ता शशि पांडे को उनकी जमीन के बदले सन 1988 से अभी तक का हर्जाना 10 हजार रुपए प्रतिमाह की दर से भुगतान करने का आदेश दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि मुआवजे की पूरी राशि इस दौरान जबलपुर में पदस्थ रहे सभी कलेक्टरों से वसूल की जाए। आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए मुख्य सचिव को इस संबंध में रजिस्ट्रार जनरल को रिपोर्ट देने के भी निर्देश दिए। याचिकाकर्ता शशि पांडे की अधारताल बायपास से लगी 29 हजार 150 वर्गफुट जमीन सरकार ने 5 फरवरी, 1988 को ले ली थी। इस जमीन का न तो मुआवजा दिया गया और न ही अधिग्रहण किया गया। इसके पहले भी शशि पांडे ने एक याचिका दायर की थी जिसमें हाईकोर्ट ने 2006 में प्रकरण का निराकरण करने के निर्देश कलेक्टर को दिए थे।
इन कलेक्टरों को देना होगा इतनी राशि-
36 साल की इस अवधि में करीब 23 कलेक्टरों की जबलपुर जिले में पदस्थापना यहां हो चुकी है। जबलपुर में 1988 में भागीरथ प्रसाद कलेक्टर थे। इनके कार्यकाल का ही प्रकरण है। जबलपुर में 7 माह पद संभालने के बाद 6 जुलाई 1988 को ट्रांसफर किए गए। इस हिसाब से इन्हे 5 माह की राशि चुकानी होगी। 10 हजार रुपए प्रतिमाह के हिसाब से भागीरथ प्रसाद को 50 हजार रुए चुकाने होंगे। सबसे ज्यादा हर्जाना राशि तत्कालीन कलेक्टर संजय दुबे को चुकानी होगी। वे जबलपुर में 37 माह पदस्थ रहे। इस हिसाब से उन्हे 3 लाख 70 हजार रुपए चुकाने होंगे। वहीं जबलपुर में सिर्फ दो माह का कार्यकाल संभालने वाले अजय सिंह को सिर्फ 20 हजार रुपए चुकाने होंगे।
इन कलेक्टर को चुकानी होगी इतनी राशि-
भागीरथ प्रसाद -    5 माह -   50 हजार
एसएस डंगस   -    11 माह -  110000 
आरएन बैरवा  -     21 माह -  210000
राघन चन्द्रा     -     5 माह -    50 हजार
विवेक ढांड़    -       24 माह -  240000
एमएम उपाध्याय -  32 माह -  320000
अजय सिंह  -          2 माह -   20 हजार
राजकिशोर स्वाई -  36 माह-  360000
संजय बंदोपाध्याय -  24 माह - 240000
प्रवीण गर्ग      -        23 माह - 230000
रजनीकांत गुप्ता  -   4 माह -   40 हजार
संजय दुबे   -           37 माह - 370000
हरिरंजन राव  -      20 माह -  2 लाख 
गुलशन बामरा  -    36 माह-   360000
विवेक पोरवाल  -   17 माह -  170000
एसएस रूपला  -   20 माह -  2 लाख
महेशचन्द्र चौधरी - 24 माह -  240000
छवि भारद्वाज  -     15 माह - 150000
भरत यादव   -      15 माह -  150000
कर्मवीर शर्मा  -    17 माह -  170000
डॉ. इलैया राजा -  7 माह -   70 हजार
सौरभ सुमन   -     14 माह - 140000
दीपक सक्सेना -    9 माह -  90 हजार                        
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

 
                                                                                                                                             
                                                                                                                                             
                                                                                                                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                            