ईरान-इजरायल युद्ध के बीच बढ़ सकती है महंगाई
ईरान और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध का असर कहीं न कहीं भारत के साथ ही अन्य देशों पर भी पड़ेगा। इस युद्ध के कारण एक बार फिर से महंगाई बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं।

ईरान और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध का असर कहीं न कहीं भारत के साथ ही अन्य देशों पर भी पड़ेगा। इस युद्ध के कारण एक बार फिर से महंगाई बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि युद्ध के कारण रोजमर्रा का सामान महंगा हो सकता है। इससे कच्चा माल मिलना मुश्किल हो सकता है। साबुन, तेल, बिस्किट आदि के दामों पर असर पड़ेगा। कंपनियों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के कृष्णा खटवानी के अनुसार मध्य पूर्व में तनाव के कारण कच्चे तेल के दाम बढ़ सकते हैं। गोदरेज कंपनी सिन्थोल साबुन और गुडनाइट मच्छर मारने वाली दवा बनाती है। कच्चे तेल की मांग इन्हीं देशों से पूरी की जाती है। यदि यहां पर हालात बेहतर नहीं हुए तो सामानों के दाम बढ़ना निश्चित है।
अच्छा कारोबार होने की थी उम्मीद
युद्ध ऐसे समय में हो रहा है जब कंपनियों ने ये उम्मीद लगाई थी कि डिमांग बढ़ने से कारोबार में उछाल देखने को मिलेगा। ऐसे में युद्ध जैसी स्थिति बनना सभी के लिए चिंता का विषय है। पिछली पांच तिमाहियों की मांग को देखा जाए तो वो कम थी, इसलिए इस समय में मांग बढ़ने की कयास लगाई जा रही थी। भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्याज दरें कम कर दीं हैं। सरकार ने बजट में टैक्स में छूट दी। मानसून ने भी पहले ही दस्तक दे दी है। परिस्थितियाँ सुधरने के बजाय और बिगड़ती हुई दिखाई दे रही हैं।
नहीं मिल पाएगी कोई राहत
कंपनियों को अपने प्रोडक्शन के लिए छह महीने के लिए सामान को खरीदकर स्टोर करती है। अगर तेल के दाम में कोई भी रुकावट आती है तो कंपनियों को जो राहत मिलने की उम्मीद थी, वह भी टूट सकती है। खासकर शहरी बाजारों में, जहां लंबे समय से मंदी का दौर देखा जा रहा है। डाबर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहित मल्होत्रा ने बताया कि कंपनी पश्चिम एशिया की स्थिति पर लगातार निगरानी रख रही है। उन्होंने कहा कि खुदरा खाद्य महंगाई दर सात महीनों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। इसके अलावा, इस साल बेहतर मानसून की संभावना और सरकार द्वारा किए गए कुछ वित्तीय प्रोत्साहन उपायों से भी मदद मिलेगी। इन सभी कारणों से रोजमर्रा के उपभोग की वस्तुओं की मांग में वृद्धि की उम्मीद है।