मिडिल ईस्ट का तनाव नहीं हुआ कम, तो भारत के घरों की रसोई में चूल्हा जलना होगा मुश्किल 

ईरान और इजरायल के बीच का तनाव कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। यदि यह तनाव कम नहीं होता है, तो भारत में महंगाई का बढ़ना तय है। भारत में ज्यादातर एलपीजी पैस की आपूर्ति पूर्वी एशिया से की जाती है।

Jun 23, 2025 - 16:41
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मिडिल ईस्ट का तनाव नहीं हुआ कम, तो भारत के घरों की रसोई में चूल्हा जलना होगा मुश्किल 
If the tension between the Middle East does not reduce then it will be difficult to light the stove in the kitchens of Indian homes


ईरान और इजरायल के बीच का तनाव कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। जहां भारत और अन्य देश शांति की अपील कर रहे हैं। ऐसे में अमेरिका भी इस लड़ाई का हिस्सा बनता जा रहा है। यदि यह तनाव कम नहीं होता है, तो भारत में महंगाई का बढ़ना तय है। भारत में ज्यादातर एलपीजी पैस की आपूर्ति पूर्वी एशिया से की जाती है। ऐसे में यदि इन हालातों पर सुधार नहीं हुआ, तो सिलेंडर की आपूर्ति के लिए अन्य विकल्पों को तलाशना होगा। इससे कहीं न कहीं इसके दामों पर असर देखने को मिलेगा। 

33 करोड़ घरों में होता है एलपीजी का इस्तेमाल 


पिछले एक दशक में भारत में एलपीजी (तरल पेट्रोलियम गैस) का उपयोग दोगुना हो गया है। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश के लगभग 33 करोड़ घरों में एलपीजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिस तरह से एलपीजी का उपयोग करने वालों की संख्या में वृद्धि हुई है। उसी तरह से भारत में इसका आयात भी बढ़ा है। वर्तमान में 66 फीसदी एलपीजी की आपूर्ति आयात से की जा रही है। 95 फीसदी सऊदी अरब से हो रही है। इसके बाद यूएई और कतर से एलपीजी का आयात किया जा रहा है। 

16 दिन के बाद क्या होगा?


भारत में मात्र 16 दिनों की खपत के लिए ही एलपीजी का स्टॉक उपलब्ध है। अगर पश्चिमी एशिया से एलपीजी का आयात प्रभावित होता है तो हमारे पास सिर्फ 16 दिन के लिए ही गैस उपलब्ध है। हालांकि पेट्रोल और डीजल की कोई दिक्कत नहीं है। भारत दोनों का ही निर्यात करता है, यदि स्थिति नहीं सुधरी तो भारत इनके निर्यात पर रोक लगातार घरेलू बाजार की आपूर्ति को तवज्जो देगा। 

अन्य विकल्प पड़ेंगे महंगे


यदि मिडिल ईस्ट के देशों से आयात प्रभावित होता है, ऐसी स्थिति में एलपीजी के लिए अन्य विकल्पों को तलाशना होगा। इसमें अमेरिका, यूरोप, मलेशिया या अफ्रीका है। जो आयात कर सकते हैं, लेकिन इसके शिपमेंट में काफी समय लगता है। जिससे इनकी कीमतों पर भी असर पड़ेगा। जो महंगाई बढ़ने की ओर इशारा करता है। 

तेल कपंनियां सीमित स्टॉक के बावजूद नहीं कर रहीं खरीदारी 

मिडिल ईस्ट में चल रहे संघर्ष के बाद भी तेल कंपनियां खरीदारी नहीं कर रही हैं। उन्हें लगता है कि आपूर्ति बाधित होने का जोखिम कम है। भारत के पास केवल 25 दिनों का क्रूड ऑयल का भंडार मौजूद है। सूत्रों के अनुसार, यदि हम तुरंत एलपीजी या क्रूड ऑयल का नया ऑर्डर भी दें, तो उसकी डिलीवरी में करीब एक महीने का समय लग सकता है। इस दौरान स्टॉक कैपेसिटी सीमित है। तेल की कीमतों में उछाल अस्थायी होगा। आमतौर पर वैश्विक बाजार में कीमतें जल्दी स्थिर हो जाती हैं। पेट्रोल और डीजल की कीमतें पिछले तीन सालों से स्थिर बनी हुई हैं। अभी इसमें कोई बदलाव आने की संभावना कम है। फिलहाल हम संतर्क हैं और घरेलू उपभोक्ताओं को जरूरतों का ध्यान रखते हुए उन्हें प्राथमिकता दे रहे हैं।