धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाली महिला प्रोफेसर को हाईकोर्ट से मिली जमानत
एमपी हाईकोर्ट ने एक मुस्लिम महिला प्रोफेसर को जमानत दे दी है। प्रोफेसर पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से धार्मिक भावनाओं को आहत पहुंचाने वाली टिप्पणी की थी।

एमपी हाईकोर्ट ने एक मुस्लिम महिला प्रोफेसर को जमानत दे दी है। प्रोफेसर पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से धार्मिक भावनाओं को आहत पहुंचाने वाली टिप्पणी की थी। जस्टिस ए के सिंह की एकलपीठ ने कहा कि आरोपी को अनिश्चितकालीन तक जेल में नहीं रखा जा सकता। इसलिए कोर्ट ने महिला प्रोफेसर को कुछ शर्तों के साथ जमानत दी है।
सीता माता को लेकर किया था पोस्ट
डिंडौरी में अतिथि प्रोफेसर के तौर पर काम करने वाली डॉ.नसीम बानो ने यह सीता माता को लेकर एक पोस्ट साझा किया छा। सीमा माता के अपहरण का एक कार्टून वीडियो व्हॉट्सएप ग्रुप में शेयर किया था कि आतंकवादियों द्वारा धर्म पूछकर आतंकी हमले का जिक्र भी किया था। उन्होंने इस पर लिखा था कि आतंकवादियों द्वारा धर्म पूछकर गोली मारना और जय श्रीराम के नारे लगाकर मारना, दोनों में कोई अंतर नहीं है। इस पर डिंडौरी कोतवाली पुलिस ने डॉ.नसीम बानो के खिलाफ B.N.S., 2023 की धारा 196, 299 और 353(2) के तहत मामला दर्ज किया गया।
कई दिनों की जेल के बाद मिली राहत
डॉ.नसीम बानो 28 अप्रैल से जेल में थी। जिसके बाद एमपी हाईकोर्ट में जस्टिस ए के सिंह की एकलपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए। खास शर्तों के साथ महिला प्रोफेसर को जमानत दे दी है। जमानत देने से पूर्व इस पर भी कोर्ट द्वारा विचार किया गया कि महिला के खिलाफ पहले से कोई भी आपराधिक मामला दर्ज नहीं है। कोर्ट का कहना है कि महिला पेशे से प्रोफेसर है तो उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि व्हॉट्स एप पर क्या शेयर करना चाहिए और क्या नहीं। महिला ने अपनी रिहाई के लिए ट्रायल कोर्ट में 30 अप्रैल को अपील की थी, लेकिन जमानत खारिज कर दी गई। हाईकोर्ट ने इस पर कहा कि महिला के खिलाफ पूर्व में कोई आपराधिक मामले दर्ज नहीं है। सिर्फ धार्मिक भावनाओं को भड़काने के लिए महिला को अनिश्चितकालीन जेल में नहीं रखा जा सकता। इसलिए हाईकोर्ट से महिला की जमानत मंजूर की गई।