किसान संघ जीएम फसलों का पक्षधर नहीं,किसान संघ ने सांसद से की चर्चा
भारतीय किसान संघ के द्वारा राष्ट्रीय जीएम नीति को लेकर देशव्यापी जनजागरण आंदोलन के तहत किसान संघ के प्रतिनिधि मंडल ने जबलपुर के सांसद आशीष दुबे को ज्ञापन सौंप कर राष्ट्रीय जीएम नीति को लेकर चर्चा की।
 
                                    किसान संघ (Farmers Union) के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख राघवेन्द्र सिंह पटेल का कहना है किअभी हाल ही में जुलाई माह में सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने सरकार को आदेश दिया कि केंद्र सरकार (Central government) सभी हितधारकों से बात करते हुए राष्ट्रीय जीएम नीति बनाए। इस कार्य को चार माह में पूर्ण करने का भी आदेश दिया। चूंकि किसान मुख्य हितधारक है इसलिए उसकी राय को राष्ट्रीय जीएम नीति (National GM Policy) निर्माण में प्रमुख रूप से शामिल किया जाए। इस विषय पर आगामी शीतकालीन सत्र में संसद में चर्चा करने के आग्रह का ज्ञापन सांसद आशीष दुबे को सौंपा गया।
कृषि व किसान मेरी प्राथमिकता- सांसद
 
सांसद आशीष दुबे ने किसान संघ के प्रतिनिधि मंडल के विषयों को ध्यान से सुनने के बाद कहा कि मैं स्वयं किसान हूं, इसलिए इन विषयों की गंभीरता को समझता हूं। श्री दुबे ने किसानों को आश्वस्त किया कि कृषि व किसान मेरी प्राथमिकता है। आपके विषयों को निश्चित तौर पर सरकार व संसद के समक्ष रखकर हरसंभव समाधान करने का प्रयास करूंगा।
क्या है सर्वोच्च न्यायालय का आदेश
लगभग बीस साल से चल रही सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने 23 जुलाई 2024 को दिए अपने आदेश में कहा कि केंद्र सरकार सभी हितधारक जैसे किसान, कृषि, कृषि वैज्ञानिकों, राज्य सरकारों, किसान संगठन, उपभोक्ता संगठन आदि सभी की सलाह लेते हुए जीएम फसलों पर राष्ट्रीय जीएम नीति बनाए। जिसमें जीएम फसलों का मुख्य रूप से पर्यावरण व स्वास्थ्य पर प्रभाव का मूल्यांकन, व्यवसायिक उपयोग के लिए नियम व मानक, आयात निर्यात, लेबलिंग, पैकेजिंग के नियम, सार्वजनिक शिक्षा, जागरूकता आदि विषयों पर हितधारकों से चर्चा कर राय को शामिल करने के निर्देश दिए हैं।
किसान संघ का यह है कहना
 
किसान संघ का कहना है कि भारत में रासायनिक खेती व जहरीला जीएम कृषि व किसान के लिए असुरक्षित है। जीएम फसलें जैव विविधता को नष्ट और ग्लोवल वार्मिंग को बढ़ाती हैं। बीटी कपास इसका उदाहरण हैं जिसके फेल होने से किसानों को हुए भारी नुकसान के कारण उन्हें आत्महत्या तक करनी पड़ी थी। भारत को कम यंत्रीकरण, रोजगार सृजन क्षमता वाली कृषि चाहिए, न कि जीएम खेती। इससे साफ है कि किसान संघ जीएम फसलों का पक्षधर नहीं है।
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

 
                                                                                                                                             
                                                                                                                                             
                                                                                                                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                            