आंध्रप्रदेश के तिरुपति मंदिर के बाद अब श्रीशैलम देवस्थानम मंदिर को लेकर वीडियो वायरल हुआ है। जिसमें प्रसाद के लड्डू में मरा हुआ कॉकरोच होने का दावा किया जा रहा है। इससे पहले तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में चर्बी मिले होने को लेकर मामला गर्माया था। इस घटना के बाद एक बार फिर से हिंदू धार्मिक स्थल के प्रसाद की गुणवत्ता और स्वच्छता पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं इस मामले में मंदिर समिति के अधिकारियों ने दावे का खंडन करते हुए कहा कि प्रसाद की तैयारी के दौरान सख्त स्वच्छता बरती जाती है। खंडन के बावजूद भी प्रसाद तैयारी क्षेत्रों की समीक्षा शुरू कर दी गई है। भक्त ने घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया है। जिसे लेकर एक बार फिर मंदिर समिति की लापरवाही और स्वच्छता पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
श्रीशैलम मंदिर हिंदुओं के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। इस मंदिर का महत्व प्राचीन समय से हैं। यहां भ्रामराम्बिका देवी-मल्लिकार्जुन स्वामी रहते हैं। जिनकी पूजा अर्चना के लिए लाखों भक्त यहां पहुंचते हैं।
ऐसा माना जाता है कि श्रीशैलम वह स्थान है जहां भगवान शिव और माता पार्वती कुछ समय के लिए ठहरे थे, और इसी कारण इस स्थान को श्रीशैलम नाम मिला। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव यहां लिंग रूप में विराजमान हैं और उनकी पूजा विशेष रूप से चमेली के फूलों से की जाती थी। तेलुगु भाषा में चमेली को 'मल्लिका' कहा जाता है, और इसी वजह से उन्हें 'मल्लिकार्जुन' कहा जाने लगा।
TOI की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक स्थानीय पत्रकार द्वारा रविवार को साझा की गई एक पोस्ट में यह दावा किया गया कि सरसचंद्र नाम के एक भक्त को लड्डू प्रसाद में मरा हुआ कॉकरोच मिला। इस घटना के बाद उन्होंने मंदिर के कार्यकारी अधिकारी श्रीनिवास राव को मंदिर कर्मचारियों की लापरवाही के बारे में अवगत कराया। मामले की गंभीरता को देखते हुए श्रीनिवास राव ने प्रसाद वितरण की प्रक्रिया की जांच के लिए सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा करने की बात कही है।
लाखों भक्तों की जुटती है भीड़
श्रीशैलम मंदिर की मान्यता तिरुपति मंदिर की तरह ही बहुत अधिक है, और यहां हर दिन हजारों श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते हैं। हाल ही में सामने आए एक मामले के बाद मंदिर प्रशासन ने कहा है कि वे यह भी देख रहे हैं कि कहीं यह कोई साजिश या जानबूझकर फैलाई गई गलत सूचना तो नहीं है। एहतियातन, प्रशासन ने प्रसाद की पैकेजिंग, वितरण प्रक्रिया और उससे जुड़े क्षेत्रों की गहन समीक्षा शुरू कर दी है। इस घटना ने एक बार फिर उन मंदिरों में वितरित किए जाने वाले प्रसाद की गुणवत्ता को लेकर चिंता बढ़ा दी है, जहां बड़ी संख्या में भक्त इसे ग्रहण करते हैं।