गांधी सागर अभयारण्य में वर्षों बाद दिखा दुर्लभ 'स्याहगोश'

गांधी सागर अभयारण्य में लंबे समय बाद दुर्लभ मांसाहारी प्रजाति स्याहगोश, जिसे कैराकल भी कहा जाता है, कैमरा ट्रैप में रिकॉर्ड किया गया है।

Jul 12, 2025 - 14:36
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गांधी सागर अभयारण्य में वर्षों बाद दिखा दुर्लभ 'स्याहगोश'
Rare 'Caracal' seen after years in Gandhi Sagar Sanctuary
 
गांधी सागर अभयारण्य में लंबे समय बाद दुर्लभ मांसाहारी प्रजाति स्याहगोश, जिसे कैराकल भी कहा जाता है, कैमरा ट्रैप में रिकॉर्ड किया गया है। वन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि इस प्रजाति की मौजूदगी इस क्षेत्र के पारिस्थितिक तंत्र की समृद्धि और संतुलन का संकेत है, जो ऐसे दुर्लभ जीवों के लिए उपयुक्त और सुरक्षित वातावरण प्रदान करता है। अब विभाग मादा कैराकल की खोज में जुट गया है।

 

रात में सक्रिय और बेहद सतर्क जानवर

 
विशेषज्ञों के अनुसार स्याहगोश एक बेहद सतर्क, तेज दौड़ने वाला और रात्रिचर जीव है। अभयारण्य में कैमरा ट्रैप में एक वयस्क नर कैराकल स्पष्ट रूप से दिखाई दिया है। डीएफओ संजय रायखेरे ने इसे मध्यप्रदेश में संरक्षण प्रयासों की बड़ी सफलता और वन्यजीव शोध के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया है।
 

भारत में दुर्लभ और विलुप्त प्रजातियों में शामिल

 
स्याहगोश को भारत में लुप्तप्राय जीवों की श्रेणी में रखा गया है। वन विभाग को उम्मीद है कि यदि नर मौजूद है तो मादा भी पास ही कहीं होगी। इसी के चलते संभावित इलाकों में और कैमरे लगाए जा रहे हैं ताकि मादा कैराकल की भी पुष्टि हो सके। विभाग का कहना है कि इस शर्मीले जीव के लिए शांत और संरक्षित इलाका जरूरी है, इसलिए उसके ठिकाने की पहचान होने पर वहां इंसानों और अन्य जीवों की आवाजाही सीमित की जाएगी।