अभिनेता आशीष विद्यार्थी ने बताई फिल्म इंडस्ट्री की शोक सभा की सच्चाई, मुकुल आनंद की शोक सभा का किस्सा सुनाया 

शोक सभा में सिर्फ मरने वाले के करीबी ही रोते नजर आते हैं। यह बात दिग्गज अभिनेता आशीष विद्यार्थी ने बताई। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री की शोक सभा को लेकर कड़वे सच को बयां किया।

Jul 8, 2025 - 15:47
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अभिनेता आशीष विद्यार्थी ने बताई फिल्म इंडस्ट्री की शोक सभा की सच्चाई, मुकुल आनंद की शोक सभा का किस्सा सुनाया 
Actor Ashish Vidyarthi told the truth about the condolence meeting in the film industry
 
फिल्म इंडस्ट्री में किसी की मौत होती है, तो सभी सफेद कपड़े और काला चश्मा पहने नजर आते हैं। इस मौके पर हर कोई दुखी नहीं होता है। शोक सभा में सिर्फ मरने वाले के करीबी ही रोते नजर आते हैं। यह बात दिग्गज अभिनेता आशीष विद्यार्थी ने बताई। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री की शोक सभा को लेकर कड़वे सच को बयां किया। उन्होंने इस मौके पर मुकुल आनंद की शोक सभा का भी जिक्र किया और उस दौरान के अनुभव को साझा करते हुए बताया कि कैसे शोक सभा के दौरान लोग गंभीर माहौल के बावजूद काम की बातें करते हैं और सब कुछ एक औपचारिकता बनकर रह जाता है। 
 
फिल्म इंडस्ट्री की पहली शोक सभा डायरेक्टर मुकुल एस आनंद की रही। जिसमें मैंने शिरकत की। मुकुल आनंद उस वक्त 'दस' फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। जिसमें सलमान खान, संजय दत्त, रवीना टंडन काम कर रहे थे। आशीष ने बताया कि उनके लिए यह पहला अनुभव था। आशीष ने बताया कि वो पहली बार अमेरिका शूटिंग के लिए गए थे, और लौटते वक्त ही उन्हें मुकुल आनंद की मौत की खबर मिली। वे इस शोक सभा में एक अकेले व्यक्ति थे। जो रंगीन कपड़ों में पहुंचे थे। वहां मौजूद सभी लोग सफेद कपड़े और काला चश्मे पहने हुए थे। सभी एक-दूसरे से फुसफुसा रहे थे। जिसके कारण काफी असहज महसूस कर रहे थे। 
 
सभा के बाद जब वे बाहर निकल रहे थे तो एक फिल्ममेकर ने उनके पास आकर फुसफुसाते हुए कहा, "बहुत खेद है, अगले हफ्ते की डेट्स पर बात करते हैं।" इस पर आशीष स्तब्ध रह गए लेकिन उसी शोकमय मुद्रा में जवाब दिया।
 
इसके साथ ही आशीष ने सोशल मीडिया पर चल रहे शोक के ट्रेंड्स पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि अब ‘ओम शांति’ और ‘बहुत जल्दी चले गए’ जैसे शब्द ट्रेंड बन गए हैं, जैसे कि RIP (Rest In Peace)। उन्होंने कहा कि अगर वे मर जाएं तो लोग लिखेंगे - “बहुत जल्दी चले गए”, “अद्भुत टैलेंट”, “इंडस्ट्री ने कभी पहचाना ही नहीं।” उनके अनुसार, अब यह सब दिखावे और औपचारिकता का हिस्सा बन गया है, जिसे समाज ने एक आदत की तरह अपना लिया है।