एशिया की सबसे बुजुर्ग हथिनी वत्सला का पन्ना टाइगर रिजर्व में निधन

पन्ना टाइगर रिजर्व में वत्सला ने अंतिम सांसें लीं। वत्सला की उम्र 100 साल से भी अधिक थी। हमेशा वह पर्यटकों से घिरी रही। इतना ही नहीं वह अपने हाथियों के दल की नेता भी थी। 

Jul 9, 2025 - 14:46
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एशिया की सबसे बुजुर्ग हथिनी वत्सला का पन्ना टाइगर रिजर्व में निधन
Asia's oldest elephant Vatsala dies in Panna Tiger Reserve
 
एशिया की सबसे उम्रदराज हथिनी वत्सला अब हमारे बीच नहीं रही। पीछे रह गईं, तो सिर्फ उसकी यादें। उसका खयाल रखना और समय-समय पर उसके स्वास्थ्य की जांच कराना। अचानक से तबीयत बिगड़ी और वत्सला उठ भी नहीं पाई। उसके जाने का गम हर किसी को है। जहां एक ओर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने इस पर शोक जताया है, वहीं दूसरी ओर केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी वत्सला की तस्वीर को सोशल मीडिया पर साझा कर अलविदा कहा। पन्ना टाइगर रिजर्व में वत्सला ने अंतिम सांसें लीं। वत्सला की उम्र 100 साल से भी अधिक थी। हमेशा वह पर्यटकों से घिरी रही। इतना ही नहीं वह अपने हाथियों के दल की नेता भी थी। 

 

अचानक बिगड़ी तबीयत, उठ नहीं पाई

टाइगर रिजर्व के अधिकारियों के मुताबिक वत्सला खैरईयां नाले के पास आगे के पैरों के नाखून टूटने के कारण बैठ गई थी। वनकर्मियों ने उसे उठाने की काफी कोशिश की, लेकिन मंगलवार दोपहर उसकी मृत्यु हो गई। वत्सला को एक बुजुर्ग मादा के रूप में अन्य हथिनियों के बच्चों की देखरेख करने का भी जिम्मा निभाते देखा गया था।
 

वत्सला का सफर: केरल से पन्ना तक

बताया गया कि वत्सला को पहले केरल से नर्मदापुरम लाया गया था और फिर पन्ना बाघ अभयारण्य भेजा गया। वृद्धावस्था के कारण उसकी आंखों की रोशनी लगभग खत्म हो गई थी और वह ज्यादा चल-फिर भी नहीं पाती थी। इस कारण उसे गश्ती अभियानों में शामिल नहीं किया गया और उसे हिनौता हाथी कैंप में रखा गया, जहां उसकी विशेष देखभाल की जाती थी। रोज़ाना उसे खैरईयां नाले तक स्नान के लिए ले जाया जाता था और भोजन में दलिया दिया जाता था।
 

मुख्यमंत्री ने जताया शोक

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने वत्सला की मृत्यु पर शोक जताते हुए कहा, “वत्सला केवल एक हथिनी नहीं, जंगलों की मूक संरक्षक और पीढ़ियों की सखी थीं। वह अपने अनुभवों, स्नेह और नेतृत्व के लिए जानी जाती थीं। आज वह भले हमारे बीच न हों, लेकिन उनकी स्मृतियां हमेशा जीवित रहेंगी।”
 

स्वास्थ्य की समय-समय पर जांच

टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सकों द्वारा वत्सला के स्वास्थ्य की नियमित जांच की जाती थी, जिससे वह इतनी अधिक उम्र तक जीवित रह सकी। साथ ही बाघ पुनर्स्थापना योजना में भी वत्सला का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
 
वत्सला का जाना पन्ना के जंगलों के लिए एक भावनात्मक क्षति है, लेकिन उसकी सेवा और स्नेह की यादें हमेशा जीवित रहेंगी।