सिविल जज भर्ती पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: 3 साल की प्रैक्टिस अनिवार्य
सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक सेवा में सुधार के उद्देश्य से एक अहम फैसला सुनाया है।

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक सेवा में सुधार के उद्देश्य से एक अहम फैसला सुनाया है। अब सिविल जज (जूनियर डिवीजन) पद के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम तीन साल की वकालत (प्रैक्टिस) अनिवार्य कर दी गई है। वहीं, लॉ ग्रेजुएट्स की सीधे नियुक्ति की व्यवस्था को खत्म कर दिया गया है।
प्रैक्टिस की गिनती कैसे होगी?
कोर्ट ने कहा कि यह तीन साल की अवधि प्रोविजनल पंजीकरण की तारीख से मानी जा सकती है। हालांकि, यह नया नियम केवल भविष्य की भर्तियों पर लागू होगा, पहले से चल रही भर्तियों पर नहीं।
CJI की अहम टिप्पणी
CJI बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि बिना कोर्ट अनुभव के सीधे नियुक्त लॉ ग्रेजुएट्स से कई समस्याएं सामने आई हैं। केवल किताबी ज्ञान से न्यायिक कार्य नहीं किया जा सकता, इसके लिए अदालत में काम का अनुभव और वरिष्ठों की देखरेख जरूरी है।
न्यायिक सेवा में और भी बदलाव
सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायिक सेवा में सीमित विभागीय प्रतियोगिता के लिए 25% कोटा फिर से लागू किया है।
साथ ही, सभी राज्य सरकारों और हाईकोर्ट्स को अपने नियमों में संशोधन कर यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि सिविल जज भर्ती के लिए 3 साल की प्रैक्टिस अनिवार्य रूप से शामिल की जाए।
-जजों के विधि लिपिक (law clerk) के रूप में अनुभव को भी मान्य माना जाएगा।
-कोर्ट में नियुक्ति से पहले उम्मीदवारों को 1 साल का प्रशिक्षण लेना होगा।
-भर्ती के लिए अभ्यास प्रमाणपत्र बार में 10 साल का अनुभव रखने वाले वकील द्वारा दिया जाना चाहिए।
लंबित भर्तियों का रास्ता साफ
जिन भर्तियों को इस मामले के चलते रोक दिया गया था, वे अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार संशोधित नियमों के तहत पूरी की जाएंगी।