एमपी हाईकोर्ट का आदेश, वेटरनरी डॉक्टर की रिटायरमेंट उम्र बढ़ाकर 65 वर्ष करने का निर्देश
कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि वेटरनरी यानी पशु चिकित्सकों को भी 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति का लाभ मिलना चाहिए।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि वेटरनरी यानी पशु चिकित्सकों को भी 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति का लाभ मिलना चाहिए।
राज्य सरकार को संशोधन के निर्देश
फिलहाल प्रदेश में एलोपैथी और आयुष चिकित्सा सेवा से जुड़े डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति की उम्र 65 वर्ष निर्धारित है, लेकिन पशु चिकित्सकों के लिए यह नियम लागू नहीं था। इस पर संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह संबंधित नियमों में जरूरी संशोधन करे। साथ ही कोर्ट ने उस गजट नोटिफिकेशन में किए गए पूर्व संशोधन को भी असंवैधानिक करार दिया, जिसमें केवल एलोपैथी और आयुष डॉक्टरों को 65 वर्ष तक सेवा में बने रहने की अनुमति दी गई थी।
सरकार को नहीं करना चाहिए भेदभाव
इस मामले में याचिका भोपाल निवासी डॉ. केदार सिंह तोमर और विभिन्न जिलों में तैनात वेटरनरी सर्जनों द्वारा दायर की गई थी। इनकी ओर से हाई कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता केसी घिल्डियाल और सुयश मोहन गुरु ने पैरवी की। वकीलों ने अदालत के समक्ष यह दलील दी कि एलोपैथी और आयुष डॉक्टरों की तरह ही पशु चिकित्सक भी समान रूप से जरूरी और मूल्यवान सेवाएं प्रदान करते हैं, ऐसे में उनके साथ भेदभाव किया जाना न सिर्फ अनुचित है, बल्कि असंवैधानिक भी है।
2011 के गजट नोटिफिकेशन में हुआ था संशोधन
याचिकाकर्ताओं ने 1983 से 1988 के बीच वेटरनरी सेवाओं में अपनी नियुक्ति प्राप्त की थी। जहां एलोपैथी और आयुष डॉक्टर मध्य प्रदेश के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में कार्यरत हैं, वहीं वेटरनरी चिकित्सक पशुपालन और डेयरी विभाग के अंतर्गत सेवा दे रहे हैं। वर्ष 2011 में, राज्य सरकार ने 6 मई को जारी गजट नोटिफिकेशन में संशोधन करते हुए एलोपैथी और आयुष चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति आयु 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी थी। हालांकि, इस संशोधन में वेटरनरी डॉक्टरों को शामिल नहीं किया गया, जिसके चलते वे इस लाभ से अब तक वंचित रहे।