फर्जी सर्टिफिकेट लगाकर सरकारी नौकरी करने वाली जुड़वा बहनों का पर्दा फाश
दमोह जिले में सरकारी स्कूलों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल करने का एक बड़ा मामला उजागर हुआ है।

दमोह जिले में सरकारी स्कूलों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल करने का एक बड़ा मामला उजागर हुआ है। जांच में सामने आया कि 19 शिक्षक जाली कागजात के सहारे सरकारी स्कूलों में नियुक्त हो गए थे। इनमें से तीन को बर्खास्त कर दिया गया है, जबकि बाकी 16 अभी भी अपनी नौकरी पर बने हुए हैं।
जुड़वा बहनों की फर्जीवाड़े में संलिप्तता
जांच में एक चौंकाने वाला तथ्य यह भी सामने आया कि दो जुड़वा बहनें एक ही शैक्षणिक प्रमाणपत्र का उपयोग कर अलग-अलग स्कूलों में शिक्षिका के रूप में कार्यरत थीं। यह मामला हाई कोर्ट तक पहुंचा, जिसने तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए, लेकिन विभाग की ओर से तुरंत कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
दमोह जिले में सामने आए शिक्षक भर्ती घोटाले में सबसे चौंकाने वाली बात जुड़वां बहनों को लेकर सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों बहनों ने एक ही नाम और एक ही सर्टिफिकेट का इस्तेमाल कर दो अलग-अलग सरकारी स्कूलों में 18 वर्षों तक नौकरी की। इस दौरान दोनों ने कुल मिलाकर करीब 1.60 करोड़ रुपये वेतन के रूप में प्राप्त किए।
जुड़वां बहनों ने बीए फाइनल की एक ही मार्कशीट का इस्तेमाल कर अलग-अलग स्कूलों में नौकरी के लिए आवेदन किया था। यह फर्जीवाड़ा तब सामने आया जब दोनों ने एक ही स्कूल में तबादले के लिए अर्जी दी। जांच में खुलासा होने पर दीपेन्द्र की पत्नी रश्मि को निलंबित कर दिया गया है, जबकि विजय की पत्नी रश्मि फिलहाल फरार है।
इस मामले में पहले लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल, जबलपुर के संयुक्त संचालक और दमोह के डीईओ को शिकायतें दी गई थीं, लेकिन किसी ने कार्रवाई नहीं की। अंततः मामला हाई कोर्ट पहुंचा, जिसने 9 अप्रैल तक सभी दोषियों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया। फिर भी अभी तक 16 आरोपी शिक्षक कार्रवाई से बाहर हैं।
दमोह के जिला शिक्षा अधिकारी एसके नेमा ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षकों की जांच प्रक्रिया अभी जारी है। उन्होंने बताया कि जुड़वां बहनों में से एक, रश्मि सोनी को अंतिम नोटिस भेजा गया था, लेकिन उसके द्वारा नोटिस स्वीकार नहीं किया गया। इस कारण विभाग ने नोटिस उसके घर पर चिपका दिया है। शिक्षा विभाग का कहना है कि एक महीने के भीतर जांच पूरी कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी और इसकी रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंपी जाएगी।