ममता और करुणा का दूसरा नाम है मां
कहने को तो मां बहुत ही छोटा शब्द होता है, लेकिन एक बच्चे के लिए इस शब्द में पूरी दुनिया समाहित होती है। ममता, करुणा, दुलार और प्यार का दूसरा नाम ही मां है।

मदर्स डे पर युवा कर रहे प्लानिंग
कहने को तो मां बहुत ही छोटा शब्द होता है, लेकिन एक बच्चे के लिए इस शब्द में पूरी दुनिया समाहित होती है। ममता, करुणा, दुलार और प्यार का दूसरा नाम ही मां है। मां का कोई एक दिन नहीं होता। हर दिन मां का होता है। मई के दूसरे सप्ताह के रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है। 11 मई को मदर्स डे है। इस खास दिन को लेकर सभी उम्र के लोगों में उत्साह देखने को मिल रहा है। मां एक बच्चे को नौ महीने अपने गर्भ में रखती है और बच्चे को जन्म देते वक्त हर महिला का दूसरा जन्म होता है। पिता से पहले मां का रिश्ता एक बच्चे से जुड़ता है। इसलिए तो मां बिना कुछ कहे ही सब समझ जाती है। मां के नाम इस खास दिन को मनाने के लिए सभी प्लानिंग कर रहे हैं।
ब्रांडेड कंपनियां दे रही आकर्षक ऑफर्स
मदर्स डे के मौके पर जहां एक ओर बाजार में एक से बढ़कर एक उपहार बिक रहे हैं। वहीं कई बड़ी कंपनियां कपड़े, ब्यूटी प्रोडक्ट्स और होम एप्लायसेंस पर आकर्षक ऑफर्स दे रही हैं। जिससे हर कोई अपनी मां को खास दिन पर खास महसूस करा सके। आउटिंग, डिनर डेट, लॉन्ग ड्राइव और एक दिन मां के सारे कामों को करने जैसी प्लानिंग युवाओं के बीच चर्चा पर है।
ऐसे हुई मदर्स डे की शुरूआत
मदर्स डे मनाने की परंपरा बहुत पुरानी है, जो यूनान और रोम की सभ्यताओं से जुड़ी हुई है, जहां मातृत्व के प्रतीक के रूप में देवी-देवताओं की पूजा की जाती थी। इसके बाद, मदर्स डे की शुरुआत अमेरिका में 1908 में हुई थी। वेस्ट वर्जीनिया की ऐन रीव्स जार्विस ने अमेरिकी गृहयुद्ध के दौरान ‘मदर्स डे वर्क क्लब्स’ की स्थापना की थी, जिसका उद्देश्य सैनिकों और बच्चों के लिए स्वच्छता में सुधार करना था।
युद्ध के बाद, 'मदर्स फ्रेंडशिप डे' का आयोजन भी हुआ। ऐन रीव्स जार्विस की मृत्यु के बाद उनकी बेटी आना जार्विस ने उनकी याद में मदर्स डे मनाना शुरू किया। आना ने मां के बलिदानों और योगदानों का सम्मान करने के लिए एक दिन समर्पित करने का फैसला किया और 1908 में पहले मदर्स डे का आयोजन किया।
मई के सेकंड संडे को मनाते हैं मदर्स डे
इसके बाद, 1914 में अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे के रूप में मान्यता दी, और तभी से यह दिन हर साल मई के दूसरे रविवार को मनाया जाने लगा। मदर्स डे का यह दिन माता के प्रेम, बलिदान और योगदान का सम्मान करने का प्रतीक बन गया है।