स्कूलों के लिए नियुक्त किए जाएंगे ट्रांसफर ऑफिसर्स, भोपाल बस हादसे के बाद एक्शन मोड में कलेक्टर
भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने स्कूल प्रशासकों और पुलिस अधिकारियों के साथ एक बैठक की, जिसमें उन्होंने कई अहम निर्देश दिए।

भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने स्कूल प्रशासकों और पुलिस अधिकारियों के साथ एक बैठक की, जिसमें उन्होंने कई अहम निर्देश दिए। कलेक्टर ने तय किया है कि अब हर स्कूल में ट्रांसपोर्ट अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे, जो बसों की स्थिति, ड्राइवरों की योग्यता और ट्रेनिंग कार्यक्रमों की जांच करेंगे। सभी मानकों पर खरे उतरने के बाद ही वे प्रमाणपत्र जारी करेंगे, और केवल प्रमाणित बसों को ही संचालन की अनुमति मिलेगी।
स्कूल प्रबंधन के लिए बनाए गए सख्त नियम
कलेक्टर ने स्कूल प्रबंधन के लिए कड़े दिशा-निर्देश लागू किए हैं। यदि इन नियमों का उल्लंघन किया गया तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बाणगंगा क्षेत्र में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई दुखद घटना के बाद प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि सुरक्षा नियमों का पालन न करने वालों के खिलाफ अब सख्त कदम उठाए जाएंगे।
बाणगंगा बस हादसे के बाद फर्जी दस्तावेजों का खुलासा
बाणगंगा बस हादसे की जांच में यह खुलासा हुआ कि एक एजुकेशन वेलफेयर सोसाइटी ने फर्जी दस्तावेज बनाए थे। इन दस्तावेजों में जानबूझकर गलत तारीखें दर्ज की गई थीं ताकि स्वामित्व छुपाया जा सके और कानूनी कार्रवाई से बचा जा सके। जांच में यह भी सामने आया कि टीटी नगर पुलिस ने कार्रवाई करने में ढिलाई बरती और सोसाइटी को आवश्यकता से अधिक समय दे दिया। हादसे में शामिल बस न केवल 15 साल पुरानी थी, बल्कि उसका फिटनेस सर्टिफिकेट भी समय पर नवीनीकृत नहीं किया गया था। इन गंभीर चूक के बाद प्रशासन ने सख्त कदम उठाने का फैसला किया है।
ट्रांसपोर्ट अधिकारियों की जिम्मेदारी
नए निर्देशों के अनुसार, स्कूलों में नियुक्त ट्रांसपोर्ट अधिकारी अब संपूर्ण परिवहन व्यवस्था, बसों की स्थिति, चालकों का सत्यापन और ट्रेनिंग कार्यक्रम का मूल्यांकन करेंगे। इसके बाद ही वे एक संयुक्त सर्टिफिकेट जारी करेंगे। स्कूलों को सुप्रीम कोर्ट और सीबीएसई द्वारा निर्धारित सुरक्षा मानकों का पालन करना अनिवार्य होगा, ताकि छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
बसों की नियमित और औचक जांच
प्रशासन और पुलिस अधिकारी समय-समय पर वाहन चालकों और कंडक्टरों की जांच करेंगे ताकि यह तय किया जा सके कि वे सभी सुरक्षा मानकों का पालन कर रहे हैं। ट्रैफिक डीसीपी संजय सिंह ने स्पष्ट किया कि फिटनेस, बीमा और सुरक्षा उपकरण अनिवार्य हैं। उन्होंने बताया कि स्कूलों को नशे की लत वाले चालकों और कंडक्टरों को नियुक्त नहीं करना चाहिए। बसों में सीसीटीवी कैमरा, स्पीड गवर्नर, जीपीएस सिस्टम, अग्निशामक यंत्र, इमरजेंसी एग्जिट, फर्स्ट-एड किट और हॉरिजॉन्टल ग्रिल अनिवार्य होंगे।
औचक निरीक्षण और रिकॉर्ड की निगरानी
ट्रांसपोर्ट अधिकारी नियमित रूप से ड्राइवर सत्यापन और सुरक्षा निरीक्षण का रिकॉर्ड रखेंगे और स्कूल डेटाबेस में इसे सुरक्षित करेंगे। वे बिना पूर्व सूचना के बसों का निरीक्षण करेंगे, ताकि यह देखा जा सके कि स्कूल प्रशासन सुरक्षा नियमों का पालन कर रहा है या नहीं।
नियम तोड़ने पर होगी कार्रवाई
जो स्कूल सुरक्षा नियमों का पालन नहीं करेंगे, उनकी ट्रांसपोर्ट सेवाओं को निलंबित किया जा सकता है। स्कूल शुरू और खत्म होने के समय ट्रैफिक पुलिस प्रमुख चौराहों और भीड़भाड़ वाले रास्तों पर विशेष ध्यान देगी।
बस निरीक्षण में सामने आईं खामियां
अब तक की गई जांच में करीब 215 बसों का निरीक्षण किया गया, जिनमें से 41 बसें मोटर वाहन अधिनियम के नियमों का उल्लंघन करती पाई गईं। शनिवार को जांच के दौरान 152 बसों में से 40 बसें नियमों के खिलाफ पाई गईं। इसी तरह बुधवार को 256 बसों की जांच में 115 और मंगलवार को 410 बसों में से 126 बसों में अनियमितताएं मिलीं। इसके अलावा, 40 स्कूल बसों और वैन की जांच में 4 बसें बिना वैध फिटनेस प्रमाण पत्र के चल रही थीं। यह विशेष जांच अभियान 31 मई तक चलेगा और प्रशासन लगातार कड़ी कार्रवाई करता रहेगा।